विषयुक्त वातावरण में,
अमृत कलश खोज लूँ जरा.
क्षण के इस जीवन का मंथन कर,
दो घूंट अमृत के पी लूँ जरा.
शब्दों में समेट दूँ साँसों को,
गीतों में संवेदना भर लूँ जरा.
दुःख के अंधियारे आसमान में,
ध्रुवतारा अमन का ढूंढ़ लूँ जरा.
प्रश्नों और समाधानों का,
सत्यान्वेषण कर लूँ जरा.
जीवन - मृत्यु के पावन संगम पर,
खुद को अनासक्त कर दूँ जरा.
खुद को अनासक्त कर दूँ जरा.
जीवन मरण दोनों घाट अनोखे,
हर घाट के ठाठ देख लूँ जरा...
जीवन के पावन संगम पर,
जवाब देंहटाएंखुद को हवन कर दूँ जरा.
सही फैसला...
जरा जरा जुडकर ही समग्र को पा लिया जाता है . बहुत सुन्दर शब्दों से सजी सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबंजारे के लिए दोनो घाट बराबर
जवाब देंहटाएंयति के लिए दोनो ठाठ बराबर
यह जीवन हो समरस यदि तो
इसकी उसकी यहाँ बाट बराबर......।
जीवन मरण दोनों घाट अनोखे,
जवाब देंहटाएंहर घाट के ठाठ देख लूँ जरा... tabhi to yatraa puri hoti hai
अच्छी रचना,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
सुन्दर शब्दों से सजी सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजीवन मरण दोनों घाट अनोखे,
जवाब देंहटाएंहर घाट के ठाठ देख लूँ जरा... सत्य से रु-ब-रु करवाती सार्थक प्रस्तुति।
बहुत सुन्दर शब्दशिल्पी हैं आप.
जवाब देंहटाएंजीवन - मृत्यु के पावन संगम पर,
जवाब देंहटाएंखुद को अनासक्त कर दूँ जरा.
जीवन में इस पड़ाव को पाना "सत्य" से दोस्ती कर लेना है , लेकिन व्यक्ति है कि मृत्यु शैया पर भी अपनी इच्छाओं को नहीं त्यक्त कर पाता....जीवन के प्रति अनासक्ति और ईश्वर के प्रति आसक्ति जीवन को निश्चित रूप से उसके वास्तविक मंतव्य तक पाहुंचा देती है ..... !
बहुत सुंदर शब्दों से सजी रचना .....बढ़िया पोस्ट
जवाब देंहटाएंnew post--काव्यान्जलि --हमदर्द-
विषयुक्त वातावरण में,
जवाब देंहटाएंअमृत कलश खोज लूँ जरा
सुन्दर शब्द , सुन्दर रचना
जीवन मरण दोनों घाट अनोखे,
जवाब देंहटाएंहर घाट के ठाठ देख लूँ जरा...
सुन्दर अभिव्यक्ति
सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति।
जीवन मरण दोनों घाट अनोखे,
जवाब देंहटाएंहर घाट के ठाठ देख लूँ जरा...
बहुत गहन भाव ! आभार!
सुन्दर शब्दों में गहरे अर्थ लिए शानदार पोस्ट|
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति !...
जवाब देंहटाएंbahut hi achha blog
जवाब देंहटाएंखुद को अनासक्त कर दूँ जरा.
जवाब देंहटाएंजीवन मरण दोनों घाट अनोखे,
हर घाट के ठाठ देख लूँ जरा...
आज तो आपने पूरा जीवन दर्शन ही समझा दिया . मनुष्य जान बूझकर भी अनजान बना रहता है . गंभीर बातो को शब्दों में ढाल दिया है आपने .
//शब्दों में समेट दूँ साँसों को,
जवाब देंहटाएंगीतों में संवेदना भर लूँ जरा.
bahut sundar.. :)
bahut hi umda rachna hai...bdhai aap ko
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