"तुम मेरी हो........"
उसने धीरे से कानों में कहा.....!
सुनकर आनंदविभोर हो उठी थी वह
मनमयूर ख़ुशी से नाचने लगा........
"मैं किसी को इतनी पसंद हूँ.....!"
इसकी कल्पना और उसका सुख
जब भान आया
तो समझा था उसे
उन शब्दों का सच्चा अर्थ
प्रेम की अपेक्षा
स्वामित्व का भाव ज्यादा था उनमे
दोनों को ही चाहिए परस्पर आधार
जब ये संसार चलता है, आपसी प्यार
और सामंजस्य से एक दुसरे के...
तो फिर ये स्वामित्व क्यों.....?
लुटा देगी खुशियाँ तुमपर सारी
माँग लेगी दुख सारे तुम्हारे
तपोगे जीवन की धूप में उसके साथ
चलना होगा तुम्हे भी उसके साथ
बोलो...?
चल सकोगे...?
तो फिर कह दो ना.....!
"मैं तुम्हारा हूँ......."
उसने धीरे से कानों में कहा.....!
सुनकर आनंदविभोर हो उठी थी वह
मनमयूर ख़ुशी से नाचने लगा........
"मैं किसी को इतनी पसंद हूँ.....!"
इसकी कल्पना और उसका सुख
उन शब्दों के जादू में उलझकर
भूल बैठी खुद को....जब भान आया
तो समझा था उसे
उन शब्दों का सच्चा अर्थ
प्रेम की अपेक्षा
स्वामित्व का भाव ज्यादा था उनमे
दोनों को ही चाहिए परस्पर आधार
जब ये संसार चलता है, आपसी प्यार
और सामंजस्य से एक दुसरे के...
तो फिर ये स्वामित्व क्यों.....?
लुटा देगी खुशियाँ तुमपर सारी
माँग लेगी दुख सारे तुम्हारे
तपोगे जीवन की धूप में उसके साथ
चलना होगा तुम्हे भी उसके साथ
बोलो...?
चल सकोगे...?
तो फिर कह दो ना.....!
"मैं तुम्हारा हूँ......."
बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंदोनों को ही चाहिए परस्पर आधार
जब ये संसार चलता है, आपसी प्यार
और सामंजस्य से एक दुसरे के...
तो फिर ये स्वामित्व क्यों.....?
बेहतरीन.
जवाब देंहटाएंसादर
आधार तो परस्पर होता है ... किसी एक से नहीं होता .. स्वामित्व कुछ नहीं होता जहां प्रेम होता है ...
जवाब देंहटाएंबस यही कहना मुश्किल होता है……जिस दिन अहम गल जायेगा उस दिन जीवन संवर जायेगा।
जवाब देंहटाएंचित्र के साथ साथ बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना ! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंक्या मेरा और मेरा अपना ......सारा जग है झूठा सपना . तो फिर किस पर अधिकार और कैसा अधिकार ..न करें किसी से नफरत और कर सकें तो करें प्यार ..आपका आभार
जवाब देंहटाएं"मैं किसी को इतनी पसंद हूँ.....!"
जवाब देंहटाएंइसकी कल्पना और उसका सुख
उन शब्दों के जादू में उलझकर
भूल बैठी खुद को....
जब भान आया
तो समझा था उसे
उन शब्दों का सच्चा अर्थ
प्रेम की अपेक्षा
स्वामित्व का भाव ज्यादा था उनमे... aur tab , andar kuch chatakta hai
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंप्यार में 'मैं' और 'तू' का भेद खत्म हो जाता है.
जवाब देंहटाएं'मै' या 'मेरा' से राग,'तू' और 'तेरा' होने से द्वेष होता है.
लेकिन 'तू' 'मै' हो जाये और 'मै' 'तू' हो जाये.यानि मै और तू के बीच भेद मिट जाये,तो प्यार हो जाता है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
bahut sunder rachna yadi aham ko door karke ek doosre ke ho jaayen to jindagi beshkeemti ho jaye.
जवाब देंहटाएंshandar kavita
जवाब देंहटाएंsach kaha aapane
love main dono taraf hona chahiye
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंदोनों को ही चाहिए परस्पर आधार
जवाब देंहटाएंजब ये संसार चलता है, आपसी प्यार
और सामंजस्य से एक दुसरे के...
तो फिर ये स्वामित्व क्यों.....?
बहुत प्रभावित करती रचना ..... यह प्रश्न तो बनता है.....
लुटा देगी खुशियाँ तुमपर सारी
जवाब देंहटाएंमाँग लेगी दुख सारे तुम्हारे
तपोगे जीवन की धूप में उसके साथ
चलना होगा तुम्हे भी उसके साथ
बोलो...?
चल सकोगे...?
तो फिर कह दो ना.....!
"मैं तुम्हारा हूँ......."
Bahut sunder
संध्या जी,
जवाब देंहटाएंआपकी रचना दिल को छू गयी.
"मैं तुम्हारा हूँ" कहना तो आसान है.
निभाना मुश्किल है.
काश यही शब्द हम भगवान् के लिए बोल पाते.
सुंदर और प्रभावी रचना।
जवाब देंहटाएंसच है प्यार में '' मैं'' और '' तुम'' के भाव खत्म हो जाते हैं,
रह जाता है तो सिर्फ '' हम''
शुभकामनाएं आपको।
तुम मेरी हो और मैं तु्म्हारा हूँ दोनो के कहने में जमीन आसमान का अंतर है। इस कविता वो अभिव्यक्ति हुई है।
जवाब देंहटाएं"दोनों को ही चाहिए परस्पर आधार
जवाब देंहटाएंजब ये संसार चलता है"
प्रभावशाली प्रस्तुति
प्रभावशाली अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सूक्ष्म भाव का गहन विवेचन करती ............सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमैं और तुम जब एकाकार होकर हम हो जाएँ , तभी सच्चा प्रेम प्रादुर्भूत हो सकता है |
वास्तविक प्रेम का सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएंKASH PURUSH ME ITNA SAMARPAN BHAAV AA PATA KI KAHE MAIN TUMHARA HUN.
जवाब देंहटाएंमन को छू गये आपके भाव।
जवाब देंहटाएं------
TOP HINDI BLOGS !
सुन्दर भाव गुंथन और परस्पर सम्बन्धों में बराबरी मांगती रचना .
जवाब देंहटाएंलुटा देगी खुशियाँ तुमपर सारी
जवाब देंहटाएंमाँग लेगी दुख सारे तुम्हारे
तपोगे जीवन की धूप में उसके साथ
चलना होगा तुम्हे भी उसके साथ
बोलो...?
चल सकोगे...?
तो फिर कह दो ना.....!
"मैं तुम्हारा हूँ.......
बहुत प्रभावित करती रचना .......संध्या जी
अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
mam exam ke karan busy tha, kafi dino ke baad aya hun.....
जवाब देंहटाएंbahut hi achi rachna likhi hai apne...
जवाब देंहटाएंjai hind jai bharat
आपकी रचना जितनी बार पढिए, लगता है पहली बार पढ रहा हूं।
जवाब देंहटाएंलुटा देगी खुशियाँ तुमपर सारी
जवाब देंहटाएंमाँग लेगी दुख सारे तुम्हारे
तपोगे जीवन की धूप में उसके साथ
चलना होगा तुम्हे भी उसके साथ
बोलो...?
चल सकोगे...?
तो फिर कह दो ना.....!
"मैं तुम्हारा हूँ......."
"sach me mai tumhara hu"...........bahut sunder rachna marmik prastuti ke liye badhai
क्या प्यार होता है ? शायद नही , लगता है , अहसास होता है , लगाव को दोस्ती और रिश्ते को हम समझ बैठते हैं प्यार । बहुत कठिन है डगर प्रेम की ।
जवाब देंहटाएं