गुरुवार, 23 जून 2011

तेरी राह हूँ मंजिल नहीं......... संध्या शर्मा

तेरी राह हूँ
मंजिल नहीं
कश्ती हूँ
साहिल नहीं
वक़्त की आंधी चलेगी
इस तरह.............!
कश्ती कहीं
और साहिल कहीं
राह कहीं
मंजिल कहीं.............

32 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया लिखा आपने.

    सादर

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  2. really, amazing play of words. raah hoon manzil nahi,
    i don't have words to express.
    really really beautiful.

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  3. तेरी राह हूँ
    मंजिल नहीं
    कश्ती हूँ
    साहिल नहीं

    वकत कि आंधी बड़े बड़ों को उखाड फेकने की क्षमता रखती. चंद शब्दों जीवन का फलसफा पेश किया है आपने.

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  4. तेरी राह हूँ
    मंजिल नहीं
    राह कहीं न कहीं तो पहुंचा ही देगी ...

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  5. मंजिलें मिल ही जाती है, रास्ते भी आसान होंगे हौसला कायम रहना चाहिए . बेहतरीन शब्द रचना बधाई

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  6. NO 10 UPASTHIT HAI MAM. . . .
    WAKT PAR NAHI CHALTA JOR KISIKA, KABHI YE APNA HAI KABI OR KISI KA. . . . . .
    JAI HIND JAI BHARAT

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  7. गहरे अर्थों से ओत प्रोत रचना ....आपका आभार

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  8. aakhir ki 4 line sundar hain
    sach kah gai dunia ka

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  9. बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने ! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  10. गर्मी को ठंढक में बदलने वाली कविता

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  11. जरूरी है की साथ बना रहे ... फिर जो भी हो ...

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  12. जिंदगी की हकीकत से जब सामना होता है
    , या ये कहें कि वक्‍त के थपेडे पडते हैं तो सारी हकीकत सामने आ जाती है....

    अच्‍छी और भाव भरी रचना।
    शुभकामनाएं आपको

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  13. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (25.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  14. ek dum sahi kha aapne...wqyt ki aandhi to hamesha se uthti chali aai hai....kasti khi or shahil khi or.....lajabab likhti hai aap.....badhai

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  15. गागर में सागर भर दिया है आपने.

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  16. संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर रचना...

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  17. Zindagi safarnama h khwabon ka;
    Na raha kahin na manzil kahin;
    Zo rahon ko manzil bana sako to;
    Kashti yahin aur sahil b yahin.....

    But i liked your lines too...a little pessimistic still it's very much the part of life...

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  18. well if you find time then do read my latest poem
    http://impactofthoughts.blogspot.com/2011/06/living-with-lies.html

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  19. वक्त के आगे किसकी चलती है। वक्त तो हमेंशा से बलवान है।

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  20. बहुत खूबसूरत रचना पर निराशावादी.

    अगर रास्ता खूबसूरत है तो मंजिल की चिंता क्यों करें,
    अगर मंजिल खूबसूरत है तो रास्ते की परवाह क्यों करें.

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  21. बहुत खूब ....शुभकामनायें आपको !

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  22. वाह संध्या जी ............

    कम शब्दों में जिंदगी की दुश्वारियों का इतना सुन्दर चित्रण ..........अति सुन्दर

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  23. bahut khoob..
    kam shabdo me bahut kuchh kah diya aapne.
    ap bhi aaeye.... hamara bhi hausla badhaiye

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  24. कश्‍ती-साहिल, राह-मंजिल सुन्‍दर.

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  25. waah bahut khub , dil ki gehraiyo se nikli sunder rcahna ke liye badhai

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