बहुत बढ़िया लिखा आपने.सादर
सच. बहुत सुंदर रचना है।
वाह क्या खूब कहा है।
really, amazing play of words. raah hoon manzil nahi, i don't have words to express.really really beautiful.
तेरी राह हूँमंजिल नहीं कश्ती हूँसाहिल नहीं वकत कि आंधी बड़े बड़ों को उखाड फेकने की क्षमता रखती. चंद शब्दों जीवन का फलसफा पेश किया है आपने.
तेरी राह हूँमंजिल नहीं राह कहीं न कहीं तो पहुंचा ही देगी ...
मंजिलें मिल ही जाती है, रास्ते भी आसान होंगे हौसला कायम रहना चाहिए . बेहतरीन शब्द रचना बधाई
Kya baat....bahut Sunder rachna
NO 10 UPASTHIT HAI MAM. . . .WAKT PAR NAHI CHALTA JOR KISIKA, KABHI YE APNA HAI KABI OR KISI KA. . . . . .JAI HIND JAI BHARAT
गहरे अर्थों से ओत प्रोत रचना ....आपका आभार
aakhir ki 4 line sundar hainsach kah gai dunia ka
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने ! बधाई!मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-http://seawave-babli.blogspot.com/
गर्मी को ठंढक में बदलने वाली कविता
gudh rachna
जरूरी है की साथ बना रहे ... फिर जो भी हो ...
जिंदगी की हकीकत से जब सामना होता है, या ये कहें कि वक्त के थपेडे पडते हैं तो सारी हकीकत सामने आ जाती है....अच्छी और भाव भरी रचना। शुभकामनाएं आपको
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (25.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
वक्त के आगे सब बेबस
ek dum sahi kha aapne...wqyt ki aandhi to hamesha se uthti chali aai hai....kasti khi or shahil khi or.....lajabab likhti hai aap.....badhai
गागर में सागर भर दिया है आपने.
संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर रचना...
Zindagi safarnama h khwabon ka;Na raha kahin na manzil kahin;Zo rahon ko manzil bana sako to;Kashti yahin aur sahil b yahin.....But i liked your lines too...a little pessimistic still it's very much the part of life...
well if you find time then do read my latest poemhttp://impactofthoughts.blogspot.com/2011/06/living-with-lies.html
bahut sunder.
बहुत खूब ! बहुत सुन्दर..
वक्त के आगे किसकी चलती है। वक्त तो हमेंशा से बलवान है।
बहुत खूबसूरत रचना पर निराशावादी. अगर रास्ता खूबसूरत है तो मंजिल की चिंता क्यों करें,अगर मंजिल खूबसूरत है तो रास्ते की परवाह क्यों करें.
बहुत खूब ....शुभकामनायें आपको !
वाह संध्या जी ............कम शब्दों में जिंदगी की दुश्वारियों का इतना सुन्दर चित्रण ..........अति सुन्दर
bahut khoob..kam shabdo me bahut kuchh kah diya aapne.ap bhi aaeye.... hamara bhi hausla badhaiye
कश्ती-साहिल, राह-मंजिल सुन्दर.
waah bahut khub , dil ki gehraiyo se nikli sunder rcahna ke liye badhai
बहुत बढ़िया लिखा आपने.
जवाब देंहटाएंसादर
सच. बहुत सुंदर रचना है।
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब कहा है।
जवाब देंहटाएंreally, amazing play of words. raah hoon manzil nahi,
जवाब देंहटाएंi don't have words to express.
really really beautiful.
तेरी राह हूँ
जवाब देंहटाएंमंजिल नहीं
कश्ती हूँ
साहिल नहीं
वकत कि आंधी बड़े बड़ों को उखाड फेकने की क्षमता रखती. चंद शब्दों जीवन का फलसफा पेश किया है आपने.
तेरी राह हूँ
जवाब देंहटाएंमंजिल नहीं
राह कहीं न कहीं तो पहुंचा ही देगी ...
मंजिलें मिल ही जाती है, रास्ते भी आसान होंगे हौसला कायम रहना चाहिए . बेहतरीन शब्द रचना बधाई
जवाब देंहटाएंKya baat....bahut Sunder rachna
जवाब देंहटाएंNO 10 UPASTHIT HAI MAM. . . .
जवाब देंहटाएंWAKT PAR NAHI CHALTA JOR KISIKA, KABHI YE APNA HAI KABI OR KISI KA. . . . . .
JAI HIND JAI BHARAT
गहरे अर्थों से ओत प्रोत रचना ....आपका आभार
जवाब देंहटाएंaakhir ki 4 line sundar hain
जवाब देंहटाएंsach kah gai dunia ka
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने ! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
गर्मी को ठंढक में बदलने वाली कविता
जवाब देंहटाएंgudh rachna
जवाब देंहटाएंजरूरी है की साथ बना रहे ... फिर जो भी हो ...
जवाब देंहटाएंजिंदगी की हकीकत से जब सामना होता है
जवाब देंहटाएं, या ये कहें कि वक्त के थपेडे पडते हैं तो सारी हकीकत सामने आ जाती है....
अच्छी और भाव भरी रचना।
शुभकामनाएं आपको
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (25.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
वक्त के आगे सब बेबस
जवाब देंहटाएंek dum sahi kha aapne...wqyt ki aandhi to hamesha se uthti chali aai hai....kasti khi or shahil khi or.....lajabab likhti hai aap.....badhai
जवाब देंहटाएंगागर में सागर भर दिया है आपने.
जवाब देंहटाएंसंवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंZindagi safarnama h khwabon ka;
जवाब देंहटाएंNa raha kahin na manzil kahin;
Zo rahon ko manzil bana sako to;
Kashti yahin aur sahil b yahin.....
But i liked your lines too...a little pessimistic still it's very much the part of life...
well if you find time then do read my latest poem
जवाब देंहटाएंhttp://impactofthoughts.blogspot.com/2011/06/living-with-lies.html
bahut sunder.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंवक्त के आगे किसकी चलती है। वक्त तो हमेंशा से बलवान है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना पर निराशावादी.
जवाब देंहटाएंअगर रास्ता खूबसूरत है तो मंजिल की चिंता क्यों करें,
अगर मंजिल खूबसूरत है तो रास्ते की परवाह क्यों करें.
बहुत खूब ....शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंवाह संध्या जी ............
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में जिंदगी की दुश्वारियों का इतना सुन्दर चित्रण ..........अति सुन्दर
bahut khoob..
जवाब देंहटाएंkam shabdo me bahut kuchh kah diya aapne.
ap bhi aaeye.... hamara bhi hausla badhaiye
कश्ती-साहिल, राह-मंजिल सुन्दर.
जवाब देंहटाएंwaah bahut khub , dil ki gehraiyo se nikli sunder rcahna ke liye badhai
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