राह दुनिया की वो दिखाते हैं,
हम तो गलियां भी भूल जाते हैं.
उनकी यादों का सहारा लेकर,
अपनी तनहाइयाँ सजाते हैं.
जिनको समंदर डुबो नहीं सकता,
एक प्याले में डूब जाते हैं.
दाद देते हैं मेरे गीतों की,
क्या करें हम भी मुस्कुराते हैं.
कोई हमदर्द अब नहीं मिलता,
सब के सब घाव ही दिखाते हैं.
दर्द सीने में जब भी उठता है,
हम एक गीत गुनगुनाते हैं.
हम तो गलियां भी भूल जाते हैं.
उनकी यादों का सहारा लेकर,
अपनी तनहाइयाँ सजाते हैं.
जिनको समंदर डुबो नहीं सकता,
एक प्याले में डूब जाते हैं.
दाद देते हैं मेरे गीतों की,
क्या करें हम भी मुस्कुराते हैं.
कोई हमदर्द अब नहीं मिलता,
सब के सब घाव ही दिखाते हैं.
दर्द सीने में जब भी उठता है,
हम एक गीत गुनगुनाते हैं.
जिनको समंदर डुबो नहीं सकता,
जवाब देंहटाएंएक प्याले में डूब जाते हैं.
kya baat hai ! superb
दाद देते हैं मेरे गीतों की,
जवाब देंहटाएंक्या करें हम भी मुस्कुराते हैं
muskurana bhi chahiye ...akhir itna sundar jo likhti hain aap .badhai .
कोई हमदर्द अब नहीं मिलता,
जवाब देंहटाएंसब के सब घाव ही दिखाते हैं.
kya khoob...
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंदर्द सीने में जब भी उठता है,
जवाब देंहटाएंहम एक गीत गुनगुनाते हैं.
बेहतरीन पंक्तियाँ हैं.
सादर
कोई हमदर्द अब नहीं मिलता,
जवाब देंहटाएंसब के सब घाव ही दिखाते हैं
हरेक पंक्ति अंतस को छू जाती है बहुत बेहतरीन रचना.....
बहुत खूबसूरत कविता हैँ ।
जवाब देंहटाएंमन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति हुई हैँ। ....आभार संध्या जी
कोई हमदर्द अब नहीं मिलता,
जवाब देंहटाएंसब के सब घाव ही दिखाते हैं.
सच्ची और प्रभावित करती पंक्तियाँ.... बहुत बढ़िया
बहुत भावप्रणव अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएंखास चिट्ठे .. आपके लिए ...
कोई हमदर्द अब नहीं मिलता,
जवाब देंहटाएंसब के सब घाव ही दिखाते हैं.
bahut khub ....
kya bat hain
जवाब देंहटाएंbahut khoob
kam shabdo main bahut kuch kah dia aapane
Beauteous !!!
जवाब देंहटाएंFelt like saying
Waah Waah
संध्या जी, सीधे और सरल ढंग से आपने मन की बात कह दी। बधाई।
जवाब देंहटाएं---------
हॉट मॉडल केली ब्रुक...
लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।
सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई !
जवाब देंहटाएंइन लाइनों पर कौन बिछ न जाए -
जवाब देंहटाएंजिनको समन्दर डुबो नहीं सकता ,
एक प्याले में डूब जातें हैं ।
सुन्दर ,मनोहर ,मन भावन रचना ।
बधाई भी ,परोसने के लिए आभार भी .
सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसाभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
Dard jab sine me uthta hai tn , ek geet gungunate hain. . . Lajwab parstuti
जवाब देंहटाएंJai hind jai bharat
उनकी यादों का सहारा लेकर,
जवाब देंहटाएंअपनी तनहाइयाँ सजाते हैं...
खूबसूरत है इस ग़ज़ल का ग़ज़ल ...वैसे सभी शेर लाजवाब ...
दर्द सीने में जब भी उठता है,
जवाब देंहटाएंहम एक गीत गुनगुनाते हैं.
बहुत खूब !
राह दुनिया की वो दिखाते हैं,
जवाब देंहटाएंहम तो गलियां भी भूल जाते हैं.
बहुत ही सही बात कही ये आपने !
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क्या मानवता भी क्षेत्रवादी होती है ?
बाबा का अनशन टुटा !
उनकी यादों का सहारा लेकर,
जवाब देंहटाएंअपनी तनहाइयाँ सजाते हैं...
हमें तो यह पंक्ति अच्छी लगी बधाई
जिनको समंदर डुबो नहीं सकता,
जवाब देंहटाएंएक प्याले में डूब जाते हैं.
दाद देते हैं मेरे गीतों की,
क्या करें हम भी मुस्कुराते हैं...
दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ! बहुत सुन्दर, लाजवाब और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!
अरे वाह संध्या जी.इतनी प्यारी ग़ज़ल आपने लिखी.मज़ा आ गया पढ़कर.एक एक शेर लाजवाब.
जवाब देंहटाएंजिनको समंदर डुबो नहीं सकता,
एक प्याले में डूब जाते हैं.
अहा,क्या कहने है.ग़ज़ब का शेर.
खूबसूरत गीत... भावपूर्ण...
जवाब देंहटाएंदर्द सीने में जब भी उठता है,
जवाब देंहटाएंहम एक गीत गुनगुनाते हैं.
-वाह!! बहुत बढ़िया.
बहुत खुबसूरत रचना दिल को छु गई हकीकत ब्यान करती हुई |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
आदरणीय संध्या शर्मा जी...सुन्दर कविता...
जवाब देंहटाएंमन के तारों को झंकृत करतीरचना।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
दर्द सीने में जब भी उठता है,
जवाब देंहटाएंहम एक गीत गुनगुनाते हैं.
esa to main karta hun....
badhai
दर के उटःाने पर जो गा सके मुस्कुरा सके समझो उसने जीना सीख लिया
जवाब देंहटाएंअच्छे भाव
बधाई
एक समारात्मक विचार.
जवाब देंहटाएंपढ़ कर अच्छा लगा.
एक सुंदर काव्य ... अच्छा लगा .
जवाब देंहटाएंजिनको समंदर डुबो नहीं सकता,
जवाब देंहटाएंएक प्याले में डूब जाते हैं.
bahut hee khoob ,sandhya ji.
संध्या जी
जवाब देंहटाएंजितनी सहजता से आपने बड़ी बातें कह दी हैं ............वाकई प्रशंसनीय है
किसी एक शेर को क्या चिन्हांकित करूँ , हर शेर खुद को बयां कर रहा है
पूरी ग़ज़ल तारीफ़ के काबिल है ..................
सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंदाद देते हैं मेरे गीतों की,
जवाब देंहटाएंक्या करें हम भी मुस्कुराते हैं.
पढ़ कर अच्छा लगा. बहुत अच्छी रचना आभार