सुना है नहीं रहेगा
गली के कोने का
बिजली का खंभा
जिससे टिककर खड़ी
अपलक निहारती थी माँ
ससुराल जाते हुए मुझे
जब तक गली का
मोड़ ना आ जाए
मैं अब भी देखती हूँ उसे
हर बार आते वक़्त
तब तक.....
गली के कोने का
बिजली का खंभा
जिससे टिककर खड़ी
अपलक निहारती थी माँ
ससुराल जाते हुए मुझे
जब तक गली का
मोड़ ना आ जाए
मैं अब भी देखती हूँ उसे
हर बार आते वक़्त
तब तक.....
जब तक!!
मोड़ ना आ जाये
जबकि अब माँ
उससे टिकी नहीं होती
आज जाने मुझे
क्यों ऐसा लग रहा है
जैसे मुझसे मेरा कोई
अपना बिछड़ रहा है
कितने खुश हैं लोग
रास्ते का...!
चौड़ीकरण हो रहा है....
मोड़ ना आ जाये
जबकि अब माँ
उससे टिकी नहीं होती
आज जाने मुझे
क्यों ऐसा लग रहा है
जैसे मुझसे मेरा कोई
अपना बिछड़ रहा है
कितने खुश हैं लोग
रास्ते का...!
चौड़ीकरण हो रहा है....
बहुत सुन्दर......
जवाब देंहटाएंएकदम अलग से भाव....
खम्भे की जगह अगर पेड़ का ज़िक्र होता तो????
सस्नेह
अनु
क्या बात है !
जवाब देंहटाएंइंतेजारी, माँ को बेटी की
उनका खम्बे से सटना
रास्ते का चौड़ीकरण
खम्बे का हटना
मातृ-प्रेम के वर्णन की
सुन्दरता का क्या कहना ....
संध्या जी! माँ सरस्वती की
कृपा सदैव बनी रहे ....बधाई ...
मन के भावों की उम्दा अभिव्यक्ति,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
उत्त्म शिल्प एवं सुंदर भाव।
जवाब देंहटाएंकुछ यादें बस मन में सिमटी होती हैं .... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआज जाने मुझे
जवाब देंहटाएंक्यों ऐसा लग रहा है
जैसे मुझसे मेरा कोई
अपना बिछड़ रहा है
कितने खुश हैं लोग
रास्ते का...!
चौड़ीकरण हो रहा है....
राह भले चौड़ी हो रही हैं लेकिन आज दिल सिमटता जा रहा है और माँ की याद मिटने से दर्द होना स्वाभाविक है
बहुत भावनात्मक अभिव्यक्ति ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
जवाब देंहटाएंजुड़ाव के भाव..... होता है ऐसा भी
जवाब देंहटाएंलाजवाब!
जवाब देंहटाएंसादर
जीवन ढूँढता है ऐसे पल ... ऐसे निशान ... ऐसे लम्हे जो जुड जाते हैं किसी के साथ ...
जवाब देंहटाएंमन को छूती हुई रचना ...
कुछ खोने का कुछ पाने का सिलसिला और यादें ....
जवाब देंहटाएंमायके का बिजली का खंभा भी अपना सा लगता है..कोमल भाव..
जवाब देंहटाएंयादें अहसास दिलाएंगी !
जवाब देंहटाएंविकास की बहती हुई ऐसी ही बयार है..
जवाब देंहटाएंजैसे मुझसे मेरा कोई
जवाब देंहटाएंअपना बिछड़ रहा है
कितने खुश हैं लोग
रास्ते का...!
चौड़ीकरण हो रहा है....
..... सही फ़रमाया आपने सराहनीय अभिव्यक्ति......संध्या जी
बिल्कुल सही कहा आपने ...भावमय करती प्रस्तुति।
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