महुआ महके टेसू दहके, बौराए आमों के बौर,
पीली-पीली सरसों फूली, कनेर फ़ूले हैं चहुं ओर.
पीली-पीली सरसों फूली, कनेर फ़ूले हैं चहुं ओर.
सुमनों के अधरों पर फ़ाग, भ्रमरों के भी डेरे हैं,
कलियों के मनभाए हैं, सुगंधी के आवारा चोर.
बासंती वसुधा का वैभव, श्रृंगार है न्यारा न्यारा,
बहने लगी बयार बासंती, दुल्हन सी नई नकोर.
कुसुम फ़ूले हैं सपनों से, कचनार की छांव में,
सेमल भी सुर्ख हुआ है, जब हुई आज की भोर.
चलो सजना हम भी झूलें, बैठ प्रेम हिंडोले में.
चले आकाश के पार, जहां मिले न कोई छोर.
नेह सांवरिया पाए धरती, झूम के झूमे अंबर,
छाया रंग बसंती, मन पर चले ना कोई जोर.
नेह सांवरिया पाए धरती, झूम के झूमे अंबर,
छाया रंग बसंती, मन पर चले ना कोई जोर.
बढिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
चलो सजना हम भी झूलें बैठ प्रेम हिंडोले में.
जवाब देंहटाएंचले आकाश के पार जहां मिले ने कोई छोर.
बहुत बढ़िया .....अच्छा आग्रह है ....!
सुन्दर रचना के द्वारा आपने तो बसंत की बहार ला दी !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर बसन्ती रचना बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गीत ....
जवाब देंहटाएंबासंती रंग में रंगी सुंदर रचना,,,,संध्या जी बधाई,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST... नवगीत,
छाया रंग बसंती..वाह!
जवाब देंहटाएंमनमोहक बासंती रंग...... सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
मोहक रचना.
अनु
कविता ने मन को भी वासंती रंग में रंग दिया |उम्दा रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
उत्कृष्ट ...बहुत सुंदर ॥मनमोहक रचना ......बहुत अच्छी लगी ...
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ...संध्या जी ...
बसंत ऋतु के आगमन सी ताजातरीन मोहक रचना.... बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंमहुआ महके टेसू दहके, बौराए आमों के बौर,
जवाब देंहटाएंपीली-पीली सरसों फूली, कनेर फ़ूले हैं चहुं ओर.
.........सुन्दर नवगीत, बसंत के आगमन पर
कुसुम फ़ूले हैं सपनों से, कचनार की छांव में,
जवाब देंहटाएंसेमल भी सुर्ख हुआ है, जब हुई आज की भोर.
चलो सजना हम भी झूलें, बैठ प्रेम हिंडोले में.
चले आकाश के पार, जहां मिले न कोई छोर.
बेहतरीन
सादर
आ गया वसंत!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रभाब शाली अभिब्यक्ति .आभार .
जवाब देंहटाएंइश्क क्या है ,आज इसकी लग गयी हमको खबर
रफ्ता रफ्ता ढह गया, तन्हाई का अपना किला
वक़्त भी कुछ इस तरह से आज अपने साथ है
चाँद सूरज फूल में बस यार का चेहरा मिला
महुआ महके टेसू दहके, बौराए आमों के बौर,
जवाब देंहटाएंपीली-पीली सरसों फूली, कनेर फ़ूले हैं चहुं ओर.
वाह ! बहुत सुंदर वर्णन वसंत का..
कमाल की पोस्ट.......ऋतुराज बसंत के शुभागमन पर.......बेहद सुन्दर।
जवाब देंहटाएंऋतुराज वसंत की मन भावन वर्णन --सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंLatest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
बहुत बढ़िया बासंती रंग लिए सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंऋतुराज बसंत आगमन
जवाब देंहटाएंमन उत्साह उमंग भरे
डूब प्रेम-सागर में सजन संग
सजनी रह रह आहें भरे
चहुँ ओर वातावरण प्रफुल्लित
करने वाले ऋतुराज बसंत का
सुन्दर चित्रण ......बधाई ...
बसंत का सुन्दर स्वागत।
जवाब देंहटाएंकुसुम फ़ूले हैं सपनों से, कचनार की छांव में,
जवाब देंहटाएंसेमल भी सुर्ख हुआ है, जब हुई आज की भोर.
वाह ... क्या बात है अनुपम भावों का संगम ...
सुंदर व् मोहक ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
bahut sundar post ....badhai
जवाब देंहटाएंयह वसंत ऋतुराज !
जवाब देंहटाएंफूली सरसों पीली-पीली
रवि रश्मि स्वर्ण सी चमकीली
गिर कर उन पर खेतों में भी
भरती सुवर्ण का साज !
यह वसंत ऋतुराज !