हमें भी तलाश है संध्या जी ! शायद सभी इस तलाश में जुटे हैं ! यह जो तंत्र है वह गणों को ही निगलता जा रहा है ! फिर भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
संध्याजी मुझे गणतंत्र का पता मामूल है इसलिए बता रहा है
मिलेगा जी जाकर देखों पीएम आवास में ऑफीसर-साहूकारों के जलमास में होती रहती है होली दिवाली भी खरमास में एमपी एमएलऐ लगे है आजादी के सत्यानाश में जन-गण तो बिता रही जिंदगी बनवास में....
BAHUT SAHI KAHA HAI AAPNE .AABHAR <a href="http://www.facebook.com/HINDIBLOGGERSPAGE>हम हिंदी चिट्ठाकार हैं</a>
जवाब देंहटाएंहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जवाब देंहटाएंबस तंत्र है गण गायब है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कहा आपने।
हटाएंखोजते हुए उम्र बीत जायेगी शायद....
जवाब देंहटाएंफिर भी..
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ !!
सस्नेह
अनु
संध्या शर्मा जी पता ठिकाना मिल जाये तो हमें भी बतलाइए आज जरुरत है देश को दिशा निर्देश के लिए .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियाँ ......है ही नहीं तो मिले कहाँ ..?
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहमें भी तलाश है संध्या जी ! शायद सभी इस तलाश में जुटे हैं ! यह जो तंत्र है वह गणों को ही निगलता जा रहा है ! फिर भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसंध्याजी
जवाब देंहटाएंमुझे गणतंत्र का पता मामूल है
इसलिए बता रहा है
मिलेगा जी
जाकर देखों पीएम आवास में
ऑफीसर-साहूकारों के जलमास में
होती रहती है होली दिवाली भी खरमास में
एमपी एमएलऐ लगे है आजादी के सत्यानाश में
जन-गण तो बिता रही जिंदगी बनवास में....
अपना गणतंत्र हमी लोगों ने तो खो दिया है ,और हमी को वापस पाना है ,बहुत सुन्दर लिखा बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंHappy Republic Day
जवाब देंहटाएंवाकई न मन्त्र है न तंत्र है न यंत्र है
जवाब देंहटाएंगण के जतन के लिए ......बधाई ..
अब ये गणतंत्र है क्या .... बताना फिर से
जवाब देंहटाएंsateek Rachna ...Badhai
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post_26.html
बिलकुल सटीक बात कही है आपने...
जवाब देंहटाएंगणतंत्र अब कहा है ??
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
सादर
बहुत सुंदर सटीक अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
recent post: गुलामी का असर,,,
यह गणतंत्र हमारे आपके पास है
जवाब देंहटाएंलेकिन शायद हम इसका सही उपयोग नहीं कर पा रहे
सुन्दर रचना
सादर !
लाजवाब करार व्यंग ... गणतंत्र कहाँ है आज ...
जवाब देंहटाएं