डूबने के भय से
तैरना छोड़ दूँ
इतनी कमजोर नहीं
हाँ! तय कर रखी है
एक सीमा रेखा
उसके आगे नही जाना
जानती हूँ
सागर असीम, अनंत
पार नहीं कर सकती हूँ
लेकिन हार नहीं मान सकती न
जीना चाहती हूँ
उस आलौकिक क्षण को
जब तैरना सीख जाउंगी
उतर जाउंगी उस पार
सीमित होकर भी
असीमित में विलीन
आकार से निराकार
शायद उसी दिन
मिल जायेगा किनारा...
तैरना छोड़ दूँ
इतनी कमजोर नहीं
हाँ! तय कर रखी है
एक सीमा रेखा
उसके आगे नही जाना
जानती हूँ
सागर असीम, अनंत
पार नहीं कर सकती हूँ
लेकिन हार नहीं मान सकती न
जीना चाहती हूँ
उस आलौकिक क्षण को
जब तैरना सीख जाउंगी
उतर जाउंगी उस पार
सीमित होकर भी
असीमित में विलीन
आकार से निराकार
शायद उसी दिन
मिल जायेगा किनारा...
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर..........
जवाब देंहटाएंसागर असीम, अनंत
पार नहीं कर सकती हूँ
लेकिन हार नहीं मान सकती न
जीना चाहती हूँ
आत्मविश्वास से भरी....
सस्नेह.
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन सटीक रचना,......
जवाब देंहटाएंकाव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
वाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
BAHUT KHOOB .BADHAI
जवाब देंहटाएंLIKE THIS PAGE AND SHOW YOUR PASSION OF INDIAN HOCKEY मिशन लन्दन ओलंपिक हॉकी गोल्ड
डूबने का भय होता है , पर किनारे की चाहत ही किनारा देती है
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्टस पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
सागर असीम, अनंत
जवाब देंहटाएंपार नहीं कर सकती हूँ
लेकिन हार नहीं मान सकती न
जीना चाहती हूँ
Bahut Sunder Bhav....
दृग देख जहां तक पाते हैं...
जवाब देंहटाएंबच्चन जी की पंक्तियाँ याद आ रहे हैं....
सुंदर रचना... सादर।
आत्म विश्वास से भरपूर सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंसीमित होकर भी
जवाब देंहटाएंअसीमित में विलीन
आकार से निराकार
शायद उसी दिन
मिल जायेगा किनारा...
सुंदर अभिव्यक्ति. शानदार.
कोशिश करने वालो की हार नहीं होती....बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं"सीमित होकर भी
जवाब देंहटाएंअसीमित में विलीन
आकार से निराकार"
बेहद सुंदर भाव..!!
हौसला है तो सहारा ,किनारा है .सुन्दर लिखा है ..
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी की बात से पूर्णतः सहमत हूँ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएंहौसला रहे तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है ....बहुत सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास से भरी रचना ... ओज़स्वी ... अंतरात्मा को हिम्मत देती ... कुछ भी नहीं मुश्किल जहां में ...
जवाब देंहटाएंसीमाओं को पहचानना संभावनाओं की ओर एक कदम रख देने से कमतर नहीं है . मन को ऊर्जित करती है यह रचना .
जवाब देंहटाएंउतर जाउंगी उस पार
जवाब देंहटाएंसीमित होकर भी
असीमित में विलीन
आकार से निराकार
शायद उसी दिन
मिल जायेगा किनारा..
....आत्म-विश्वास से परिपूर्ण बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...आभार
http://aadhyatmikyatra.blogspot.in/
बहुत सुन्दर , सार्थक सृजन.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी बात कही है...
जवाब देंहटाएंहौसला है तो उड़ान है....
बहुत ही सुन्दर,सार्थक रचना...
किनारा दिखाई देता हो तो पार करने की इच्छा बनी रहती है। सही दिशा में प्रयास करने पर किनारा मिल ही जाता है। जहां ओर-छोर नहीं वहां भी छोर दिखाई देने लगता है। सुंदर भाव अभियक्त करती रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति, इस रचना के लिए आभार " सवाई सिंह "
जवाब देंहटाएंबढ़िया,आत्मविश्वास से ओतप्रोत पोस्ट .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव प्रस्तुति,....
सागर असीम, अनंत
जवाब देंहटाएंपार नहीं कर सकती हूँ
लेकिन हार नहीं मान सकती न
जीना चाहती हूँ
उस आलौकिक क्षण को
जब तैरना सीख जाउंगी
उतर जाउंगी उस पार
सुन्दर भाव ...कोमल रचना ...आत्मविश्वास बढाती रचना ....
राम नवमी की हार्दिक शुभ कामनाएं इस जहां की सारी खुशियाँ आप को मिलें आप सौभाग्यशाली हों गुल और गुलशन खिला रहे मन मिला रहे प्यार बना रहे दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति होती रहे ...
सब मंगलमय हो --भ्रमर५
यह कविता भी अच्छी है।
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