महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी संसार निराला
दुनिया की तस्वीर बना दूँ
जो रंग कोई हो भरने वाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
सतरंगी किरणें उतरेंगी
हर्ष का होगा नया उजाला
नए खग नए तरुवर होंगे
नया जग होगा मतवाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
सांच झूठ का नाम न होगा
होगी नई रवि की ज्वाला
कोई अर्थ न दे पायेगी
अहंकार की अब मधुशाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
करुण कथा तेरे विनाश की
कोई न होगा सुनने वाला
विष का सृजन बहुत हो चुका
भर जाने दो अमृत प्याला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
नयी सुबह और नए जगत का
अवसर नहीं अब टलने वाला
फ़िर झूम कर नाचे गाएगा
मधुर- मधुर बांसुरी वाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
माया वाले दें डरा, करें सभ्यता ख़त्म ।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद है आपको, भरे हमारे जख्म ।।
अति सुन्दर सृजन संसार ही तो रच डाला है ..शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंati sundar
जवाब देंहटाएंbahot achche.....
जवाब देंहटाएंमहाप्रलय से भयभीत न होना
जवाब देंहटाएंरच दूंगी मैं संसार निराला
बहुत सुंदर अच्छी रचना..
MY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
नयी सुबह और नए जगत का
जवाब देंहटाएंअवसर नहीं अब टलने वाला
फ़िर झूम कर नाचे गाएगा
मधुर- मधुर बांसुरी वाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
उत्साह सृजन करती सुन्दर रचना
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
लाजवाब रचना, सचमुच बहुत सुन्दर लिखा है आपने साधुवाद
जवाब देंहटाएंनयी सुबह और नए जगत का
जवाब देंहटाएंअवसर नहीं अब टलने वाला
फ़िर झूम कर नाचे गाएगा
मधुर- मधुर बांसुरी वाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
प्रेरणा जगाती सुंदर पंक्तियाँ!
इसे कहते हैं उम्मीदों का उजाला
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजन लिए उत्कृष्ट लेखन ।
जवाब देंहटाएंजिस शक्ति ने रची थी सृष्टि
जवाब देंहटाएंप्रलयोपरांत रचेगी फ़िर से
शुन्य में स्वर झंकृत होगा
मौन मुखर फ़िर होने वाला
नंदन वन में सोन चिरैया
गीत मधुर गाएगी फ़िर से
रची जाएगी फ़िर मधु से
नव गीतों की मधुरं हाला
ये माटी की रचना माटी से
मातृ शक्ति रच दे फ़िर से
फ़िर चाहे हो बारम्बार प्रलय
मानव नही है डरने वाला
प्रणम्य है वह मातृ शक्ति
जो रचती है फ़िर फ़िर से
उस आंचल की छांह तले
नाचे जग मग मतवाला
केनवास पर जैसे किसी चित्रकार ने स्वर्ण तूलिका से रच डाली सृष्टि । सृष्टि का जनक शायद ऐसे ही कहता होगा। सबको ढांढस बंधाता होगा………हो जाने दो महाप्रलय। मुझे रचना आता है। यह तो नश्वर लोक है प्राणी। बस तू आता जाता है। न जाने कितनी बार रची सृष्टि मैने……… कितनी बात प्रलय आया। बहुत ही भावपूर्ण कविता है। नवीन सृष्टि की रचना करने की आकांक्षा अटूट विश्वास को प्रकट करती है। हे! मातृ शक्ति इस सृष्टि को रचा ही है तूने………… महाप्रलय के पश्चात भी रच सकती है……………मेरा कवि मन अपने को रोक नहीं पाया…… कुछ कहने की इच्छा कर बैठा………आभार
सृजन सतत और महत्वपूर्ण है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआपकी कल्पना का संसार वाकई निराला है...
सादर.
उम्मीद पर सब कुछ निर्भर करता है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव।
बहुत ओज पूर्ण कविता ... यही संकल्प होना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंशिवत्व को नमन!
जवाब देंहटाएंसादर
नयी सुबह और नए जगत का
जवाब देंहटाएंअवसर नहीं अब टलने वाला
फ़िर झूम कर नाचे गाएगा
मधुर- मधुर बांसुरी वाला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला
वाह वाह .. बहुत सकारात्मक !!
महाप्रलय से भयभीत न होना
जवाब देंहटाएंरच दूंगी मैं संसार निराला..........बहुत अच्छी रचना
करुण कथा तेरे विनाश की
जवाब देंहटाएंकोई न होगा सुनने वाला
विष का सृजन बहुत हो चुका
भर जाने दो अमृत प्याला
महाप्रलय से भयभीत न होना
रच दूंगी मैं संसार निराला..
आपका रचित यह संसार बड़ा ही लुभावना लगा ...
नए युग की शुरुआत सचमुच आश्चर्यपूर्ण होगी ?
तथास्तु!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है पोस्ट।
जवाब देंहटाएंनयी सुबह और नए जगत का
जवाब देंहटाएंअवसर नहीं अब टलने वाला
फ़िर झूम कर नाचे गाएगा
मधुर- मधुर बांसुरी वाला ..
आमीन ... जल्दी ही ऐसा युग आये तो जीवन मधुर हो जायगा ... बहुत ही उत्साहित करती रचना ...
नयी सुबह और नए जगत का
जवाब देंहटाएंअवसर नहीं अब टलने वाला
फ़िर झूम कर नाचे गाएगा
मधुर- मधुर बांसुरी वाला
.....
सुंदर गीत है संध्या जी !
सकारात्मक सोच लिये बहुत सुंदर और प्रवाहमयी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंbahut hi umda rachna.... bdhai aap ko
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर!
जवाब देंहटाएंनयी सुबह और नए जगत का
जवाब देंहटाएंअवसर नहीं अब टलने वाला
फ़िर झूम कर नाचे गाएगा
मधुर- मधुर बांसुरी वाला
गीता में वर्णित " यदा - यदा ही धर्मस्य " पंक्तियों को साकार करती आपकी यह पंक्तियाँ निश्चित रूप से प्रभावकारी हैं ...!
करुण कथा तेरे विनाश की
जवाब देंहटाएंकोई न होगा सुनने वाला
विष का सृजन बहुत हो चुका
भर जाने दो अमृत प्याला
srijan SRIJAN srijan
beautiful lines on life.
inspiring to live.
सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसतरंगी किरणें उतरेंगी
जवाब देंहटाएंहर्ष का होगा नया उजाला
नए खग नए तरुवर होंगे
नया जग होगा मतवाला
कविमन अपनी भावाभिव्यक्ति से नए संसार का रृजन कर सकता है।
कविता के भाव मन को प्रभावित करते हैं।
महाप्रलय से भयभीत न होना
जवाब देंहटाएंरच दूंगी मैं संसार निराला... बहुत सुन्दर रचना..
मन में उमंग बहती सार्थक सोच को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह उत्कृष्ट रचना...बधाई स्वीकारें...
नीरज
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह उत्कृष्ट रचना...बधाई स्वीकारें...
नीरज
माँ का आशीर्वाद है जो कहता है किसी से भयभीत होना नहीं , प्रलय के बाद सुहानी सुबह होती है !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !
वाह! क्या ही खुबसूरत रचना है...
जवाब देंहटाएंसादर.