बहुत शोर हो रहा था
क्रांति आ रही है... क्रांति आ रही है...?
वह सो रहा था
उठकर बैठ गया
खड़े होने की जरुरत ही नहीं पड़ी
क्योंकि क्रांति आई ही नहीं
क्रांति आ रही है... क्रांति आ रही है...?
वह सो रहा था
उठकर बैठ गया
खड़े होने की जरुरत ही नहीं पड़ी
क्योंकि क्रांति आई ही नहीं
तभी उस शोर में एक आवाज गूंजी...
क्रांति इस देश में कभी नहीं आएगी
ऐसा कभी भी नहीं होगा
जहाँ कन्या भ्रूर्ण हत्या होती हैं
वहां क्रांति जन्म कैसे लेगी... ?
और जब जन्म ही नहीं लेगी
तो फिर आएगी कैसे...???
क्रांति इस देश में कभी नहीं आएगी
ऐसा कभी भी नहीं होगा
जहाँ कन्या भ्रूर्ण हत्या होती हैं
वहां क्रांति जन्म कैसे लेगी... ?
और जब जन्म ही नहीं लेगी
तो फिर आएगी कैसे...???
सही में आप बहुत ही अच्छा लिखती हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर पोस्ट.........क्रांति के लिए हमे स्वयम उठाना होगा यही तो दुर्भाग्य है इस देश का यहाँ लोग किसी का इंतज़ार कर रहे हैं कोई आएगा और क्रांति ला देगा ऐसा नहीं होने वाला...........हमारे जैसों को ही क्रांति लानी होगी......बहुत पसंद आई पोस्ट|
जवाब देंहटाएंएक विचारणीय प्रश्न उठाती कविता।
जवाब देंहटाएंखड़े होने की जरुरत ही नहीं पड़ी
जवाब देंहटाएंक्योंकि क्रांति आई ही नहीं
अंदर तक उतर गये कविता के शब्द, शुभकामनाएं.
जहाँ कन्या भ्रूर्ण हत्या होती हैं
जवाब देंहटाएंवहां क्रांति जन्म कैसे लेगी... ?
और जब जन्म ही नहीं लेगी
तो फिर आएगी कैसे...???
और फिर तो इस सृष्टि की कल्पना करना भी व्यर्थ होगा।
सादर
सही कहा आपने शत प्रतिशत सहमत .....
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात कह दी आपने।
जवाब देंहटाएंक्रान्ति को एक न एक दिन तो आना ही होगा।
________
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...मानव के लिए खतरा।
बेटियों के बिना कभी इस देश में क्रांति नहीं आ सकती यह सच है।
जवाब देंहटाएंजिस घर बेटी जन्म न लेती, उसका निष्फल हर आयोजन
सब रिश्ते नीरस हो जाते, अर्थहीन सारे संबोधन
मिलना-जुलना आना-जाना, यह समाज का ताना बाना
बिन बेटी कैसे अभिवादन, वंदन वंदन नहीं रहेगा
आँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा
वाह! बहुत सुन्दर संध्या जी.
जवाब देंहटाएंआपके उत्कृष्ट भावों को नमन.
जब जन्म ही नहीं लेगी
जवाब देंहटाएंतो फिर आएगी कैसे...???
सोचने को विवश करती रचना.... इसका कोई समाधान भी दिखाई नहीं देता....आने वाला समय सकारात्मक होगा....!
क्रांति के स्रोत पर ही कुठाराघात किया जा रहा है तो वह कैसे आएगी .....मूल को नष्ट करने से क्या क्रांति संभव हो पाएगी ....किसी भी हालत में नहीं ....आपने बहुत सशक्तता से अपने भावों को अभिव्यक्त किया है .....आपका आभार
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने......
जवाब देंहटाएंअच्छी अभिव्यक्ति के लिए बधाई |
sunder ke sath sateek rachna. behtareen kataaksh.
जवाब देंहटाएंसही में क्रांति नहीं आई ... बहुत सटीक लिखा है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन तरीके से समाज की इस बुराई का चित्रण।
जवाब देंहटाएंचिंतन करने योग्य विषय।
is desh ki kai problems kranti ko aane se rokati hain
जवाब देंहटाएंuname se ye ek bahut badi problme hain
संक्षिप्त मे यथार्थ का चित्रण…मगर शनै: शनै: परिवर्तन नजर आ रहा है…आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, सटीक और विचारणीय रचना ! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
एक अद्भुत व्यंग्य है... उस देश के लिए जहां भ्रुण हत्या होती है...
जवाब देंहटाएंखड़े होने की जरुरत ही नहीं पड़ी
जवाब देंहटाएंक्योंकि क्रांति आई ही नहीं
...एक सार्थक प्रश्न उठाती बहुत सशक्त अभिव्यक्ति..बहुत सटीक व्यंग
आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत ज़रूरी विषय पर आपने क़लम चलाई है.
जवाब देंहटाएंआपको भी नवरात्रि की हार्दिक बधाई.
karara vyangya.vicharniye lekh ke liye aapko badhai ..............
जवाब देंहटाएंएक सार्थक प्रश्न उठाती बहुत सशक्त अभिव्य|
जवाब देंहटाएंनवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें|
संध्या जी सुन्दर भाव खुबसूरत मोड़ रचना मन को छू गयी ..ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं .....जय माता दी आप सपरिवार को ढेर सारी शुभ कामनाएं नवरात्रि पर -माँ दुर्गा असीम सुख शांति प्रदान करें
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
क्रांति इस देश में कभी नहीं आएगी
ऐसा कभी भी नहीं होगा
जहाँ कन्या भ्रूर्ण हत्या होती हैं
वहां क्रांति जन्म कैसे लेगी... ?
और जब जन्म ही नहीं लेगी
तो फिर आएगी कैसे...???
संदेशप्रद रचना ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई ||
सुंदर अभिव्यक्ति भावमयी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंनवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं.
सटीक,सामयिकएवं मर्मस्पर्शी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंरचना का दर्द, ह्रदय की गहराई तक उतरने में समर्थ है संध्या जी !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ....हृदयस्पर्शी विचार
जवाब देंहटाएंनासमझ लोगो को समझाने की कोशिश, लगे रहिये, मै भी कोशिश कर रहा हूँ | आप भी कीजिये .......
जवाब देंहटाएं................धन्यवाद् ..........
बहुत सुंदर,
जवाब देंहटाएंक्या कहने
प्रस्तुति अच्छा लगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएं