फिर चोट लगी
भर आई आँखे
पर आंसू नहीं बहे
नहीं बहने दिया उन्हें
अपने सीने से लगा लिया
छुपा लिया...
फिर टूटे ख्वाब
रोया दिल
भर आई आँखे
पर आंसू नहीं बहे
खुद को दिया हौसला
दिखाए नए ख्वाब...
फिर छूटे अपने
टूटे रिश्ते
फिर रोया दिल
पर नहीं बहे आंसू
समेट लिया अपने आप को
बना डाली सीमा...
फिर देखा
सिसकता बचपन
बेपरवाह जवानी
तडपती ममता
लाचार बुढ़ापा
चीख उठा मन
नहीं रुके
बहने लगे आंसू...
भर आई आँखे
पर आंसू नहीं बहे
नहीं बहने दिया उन्हें
अपने सीने से लगा लिया
छुपा लिया...
फिर टूटे ख्वाब
रोया दिल
भर आई आँखे
पर आंसू नहीं बहे
खुद को दिया हौसला
दिखाए नए ख्वाब...
फिर छूटे अपने
टूटे रिश्ते
फिर रोया दिल
पर नहीं बहे आंसू
समेट लिया अपने आप को
बना डाली सीमा...
फिर देखा
सिसकता बचपन
बेपरवाह जवानी
तडपती ममता
लाचार बुढ़ापा
चीख उठा मन
नहीं रुके
बहने लगे आंसू...
आंसुओ के दर्द की गहरी अभिव्यक्ति है कविता में
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के एक सच की तरह है यह रचना
हरेक पंक्ति बहुत मर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंआप के शब्द और उनमें गुंथे भाव अद्भुत ही प्रभावशाली हैं...!
यही तो ज़िन्दगी की कहानी है।
जवाब देंहटाएंक्या बात है, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी यह कविता मन को छू गयी ।
जवाब देंहटाएंसादर
आपकी भावुक और मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंदिल को कचोटती है.
क्या प्रभावशाली ढंग से आपने भावों को गढा है शब्दों के साथ ...बहुत प्रभावशाली अद्भुत ....
जवाब देंहटाएंKhoob...Behtreen Rachna
जवाब देंहटाएंफिर देखा
जवाब देंहटाएंसिसकता बचपन
बेपरवाह जवानी
तडपती ममता
लाचार बुढ़ापा
चीख उठा मन
नहीं रुके
बहने लगे आंसू...
यही ज़िंदगी है ..भावपूर्ण अभिव्यक्ति
स्थितियों पर निर्भर करता है आंसुओं का बहना ...मर्मस्पर्शी भावों से सजी रचना गहरे अर्थ संप्रेषित करती है .....आपका आभार
जवाब देंहटाएंछेड़ने पर मूक भी वाचाल हो जाता है दोस्त
जवाब देंहटाएंटूटने पर आइना भी काल हो जाता है दोस्त
मत करो तुम आदमी के खून का इतना हवन
जलने पर कोयला भी लाल हो जाता है दोस्त
आँसू भी अपने साथी ही हैं.
जवाब देंहटाएंसबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज़्बात' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल को छू गयी...........बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
बहुत भावपूर्ण एवं मार्मिक प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंफिर देखा
जवाब देंहटाएंसिसकता बचपन
बेपरवाह जवानी
तडपती ममता
लाचार बुढ़ापा
चीख उठा मन
नहीं रुके
बहने लगे आंसू...per sach to yahi hai ki dard rone se kam nahi hoga
भावपूर्ण ,मार्मिक.
जवाब देंहटाएंभावमय शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंbhaavo ko shabd deti rachna....
जवाब देंहटाएंभावभरी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंफिर देखा
जवाब देंहटाएंसिसकता बचपन
बेपरवाह जवानी
तडपती ममता
लाचार बुढ़ापा
चीख उठा मन
नहीं रुके
बहने लगे आंसू...
....बहुत संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...बहुत सुन्दर
अति भावपूर्ण ,मार्मिक.प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंजब मैं फुर्सत में होता हूँ , पढ़ता हूँ और तहेदिल से इन भावनाओं का शुक्रगुज़ार होता हूँ ....
जवाब देंहटाएंबहने लगे आंसू..जिसे समेटना पड़ता है.
जवाब देंहटाएंजब रोने का मन करे रो लेना चाहिए।
जवाब देंहटाएंशक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.
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