देख सकती हैं
नन्ही सी आँखे भी
सपने बड़े - बड़े.
छिपा सकेगा सूरज को
बादल भी
आखिर कब तक...?
अपनों से युद्ध है
लड़ना होगा
अर्जुन की तरह.
सर्वव्याप्त है
सर्वव्यापक है
ईश्वर और भ्रष्टाचार.
है पर कहाँ है...?
लोकतंत्र में
लोकहित.
आसमान नहीं
किसी का दिल छू सको
तो जाने....
नन्ही सी आँखे भी
सपने बड़े - बड़े.
छिपा सकेगा सूरज को
बादल भी
आखिर कब तक...?
अपनों से युद्ध है
लड़ना होगा
अर्जुन की तरह.
सर्वव्याप्त है
सर्वव्यापक है
ईश्वर और भ्रष्टाचार.
है पर कहाँ है...?
लोकतंत्र में
लोकहित.
आसमान नहीं
किसी का दिल छू सको
तो जाने....
्बेहद उम्दा पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक प्रस्तुति सोचने पर विवश करती रचना
जवाब देंहटाएंदिल छूना इतना आसान नहीं होता....
जवाब देंहटाएंआइये मेरे नए पोस्ट पर....
www.kumarkashish.blogspot.com
दिल की को छूने वाली अभिव्यक्ति... आभार
जवाब देंहटाएंभ्रष्ट्राचार इतना अधिक व्यापक हो गया है कि आपने उसकी साम्यता ईश्वर से कर दी. इससे अंदाजा लग सकता है कि आम आदमी इस सड़ चुकी व्यवस्था से कितना त्रस्त है. आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंBilkul sahi kaha hai aapne, saarthak vichaar.
जवाब देंहटाएंचिंतन को मजबूर करती पोस्ट।
जवाब देंहटाएंगहरे भाव।
सही कहा आपने जिस तरह ईश्वर सर्वव्याप्त है उसी तरह भ्रष्टाचार भी.....
बेहतरीन प्रस्तुति।
अलग तरह की खूबसूरत रचना. आभार
जवाब देंहटाएंआसमान नहीं
जवाब देंहटाएंकिसी का दिल छू सको
तो जाने....
Bahut Sunder
संध्या जी, बहुत गहरी बात कह दी आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएं------
कसौटी पर शिखा वार्ष्णेय..
फेसबुक पर वक्त की बर्बादी से बचने का तरीका।
ख़ूबसूरती लिए जीवन यात्रा हायकू , बधाई
जवाब देंहटाएंbahut achchi soch liye hue hai yah kavita.kisi ka dil choo sako to jaane.....bahut umda
जवाब देंहटाएंहै पर कहाँ है...?
जवाब देंहटाएंलोकतंत्र में
लोकहित.
Waah...behtariin.
सुन्दर अभिव्यक्ति ...बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
किसी का दिल छू सको तो जानो ...
जवाब देंहटाएंवाकई , कितनी ऊँचाई हासिल कर लें ,आस पास खुशियाँ नहीं बिखरा सकते तो क्या फायदा !
बेहतरीन अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआसमान नहीं
जवाब देंहटाएंकिसी का दिल छू सको
तो जाने....
बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति ....
बहुत मार्मिक लाईनें हैं------
जवाब देंहटाएंआसमान नहीं
किसी का दिल छू सको
तो जाने....
आसमान नहीं
जवाब देंहटाएंकिसी का दिल छू सको
तो जाने....
dil kaha hai sab ke pass..ab to sirf patthar rah gae hei..
इस कविता की संवेदना मन के अंतस को टटोलती है। उससे जुड़कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसंध्या जी,बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंजैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
जवाब देंहटाएंदुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक
सच में किसी का दिल छू लेना आसान नहीं होता. यही आज के समय की कमी है.
जवाब देंहटाएंयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
bhut sunder likha hai aapne:)
जवाब देंहटाएंमन-मस्तिष्क की जद्दोजहद को शब्द देती सुन्दर सामयिक रचना.....
जवाब देंहटाएंगहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ बढ़िया प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत खूब ... सच है आसमान छूना आसान है पर किसी का दिल जीतना मुश्किल ... पर हिम्मत हो तो सब कुछ संभव है ... आशा जगाती है आपकी रचना ..
जवाब देंहटाएं