सोमवार, 15 अगस्त 2011

क्या यही है आज़ादी ?? संध्या शर्मा

 
मेरी एक पुरानी रचना जिसे आप सभी के साथ फिर से साझा करना चाहती हूँ...

आज़ादी -आज़ादी ........
मनाते आ रहे हो 65 सालों से  जश्न ,
पर मैं पूछती हूँ ?
आज़ादी -आज़ादी कैसी आजादी....

कहने को तो  भारत माता मुक्त हुई,
गुलामी की जंजीरों से ,
माथे  की  चमकती  हुई बिंदिया,
और होठों पर फैली मुस्कराहट ..
सिर्फ ऊपर से ही दिखती है.

आतंकवाद, जातिवाद, नक्सलवाद, दहशतवाद,
सम्प्रदायवाद से घिरती जा रही है यह,
अन्याय, भ्रष्टाचार, अत्याचार के बोझ तले
दब गई है यह आज़ादी ...

क्यूँ जश्न मना कर करते हो फक्र ??
अब वह अंग्रेजो की गुलाम नहीं रही,
खुद अपनों की बनाई जंजीरों में जकड़ी जा रही है,
हमारी कुंठित मानसिकता, बेशर्मी ,
बेवफाई और बेहयाई  के चंगुल में तड़पती
इस आज़ादी को,
""क्या हम फिर से आज़ाद कर पाएंगे ?"
तो फिर कैसी है यह आज़ादी ? 
क्यूँ  है यह आज़ादी ??
किसके  लिए  आज़ादी ???"

21 टिप्‍पणियां:

  1. खुद अपनों की बनाई जंजीरों में जकड़ी जा रही है,
    हमारी कुंठित मानसिकता, बेशर्मी ,
    बेवफाई और बेहयाई के चंगुल में तड़पती
    इस आज़ादी को,
    ""क्या हम फिर से आज़ाद कर पाएंगे ?"

    हाँ, सबको यही सोचना है ...हर भारतवासी को...

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  2. देश को भौगोलिक से ही आज़ादी मिली है, वास्तव में हम कहाँ आज़ाद हुएँ? आपने समयोचित सही भावनाएं व्यक्त की हैं | बधाई |

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  3. वर्तमान परिस्थितियों में बार- बार ये सोचना पड़ता ही है !

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  4. honsla hai vishwaas hain hum fir azad honge...
    aapne bahut sashkt likha h...

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  5. क्या हम फिर से आज़ाद कर पाएंगे ?"
    तो फिर कैसी है यह आज़ादी ?
    क्यूँ है यह आज़ादी ??
    किसके लिए आज़ादी ???"

    इन प्रश्नों का जबाब तो शायद ही मिले ....लेकिन फिर भी आशा तो की जा सकती है .....!

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  6. वर्तमान परिस्थितियों का बेहतरीन तरीके से चित्रण किया है....लाजवाब......गहन अनुभूति....

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  7. हर भारतवासी को यही सोचना है
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!

    जय हिंद जय भारत
    *****************

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  8. बिलकुल सही बात कही है आपने।
    -----
    स्वतन्त्रता दिवस की शुभ कामनाएँ।

    कल 17/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  9. भारत माँ के दर्द को बखूबी बयान किया है।

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  10. क्या हम फिर से आज़ाद कर पाएंगे ?"
    तो फिर कैसी है यह आज़ादी ?
    क्यूँ है यह आज़ादी ??
    किसके लिए आज़ादी ???" ..
    हाँ यही प्रश्न मन में बार-बार आता है लेकिन उम्मीद पर तो जाहाँ है....

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  11. sach kaha...kahin koi aazadi nahi balki nirantar ham apni lolupta ki bediyon me jakadte ja rahe hain aur gart me girte ja rahe hain.

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  12. देश के दर्द को बयान करती रचना.....

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  13. सार्थक प्रस्तुति... आभार...
    सादर,
    डोरोथी.

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  14. आजादी सच में कहां है....
    हम तो फिर से गुलाम हो गए हैं....

    उम्‍दा रचना........

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  15. नमस्कार....
    बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
    मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
    आपका ब्लागर मित्र
    नीलकमल वैष्णव "अनिश"

    इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्

    1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

    2- BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव

    3- http://neelkamal5545.blogspot.com

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  16. संध्या जी,
    आपकी कविता पढ़कर इस बात का अहसास होता है कि वास्तव में अभी सही मायने में आजादी कहाँ मिली है !
    मन को झकझोर देने वाली प्रस्तुति !

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  17. बढ़िया प्रश्न उठाये है आपने ...
    जन्माष्टमी पर शुभकामनायें स्वीकार करें !

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  18. बढ़िया प्रश्न.
    जन्माष्टमी पर शुभकामनायें.

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  19. http://impactofthoughts.blogspot.com/2011/08/dependent-independence.html
    read this one too!!

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