गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015

मुश्किल है बहुत मुश्किल ...

ज़िन्दगी अपनी
दास्तान अपनी
अदालत अपनी
अपने मुक़दमे
पैरवी अपनी
वादे, यादें
ख्याल, तजुर्बे
वक्त के बदलाव से
सब बदल जाते हैं
मुंसिफ बनकर
कोई फैसला देना
मुश्किल है
बहुत मुश्किल ...

7 टिप्‍पणियां:

  1. वक्त के बदलाव से सब बदल जाते हैं। … .सच है वक़्त के बदलाव को कोई नहीं जानता कब क्या बदलाव आ जाय
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रशंसनीय प्रस्तुति । बहुत अच्छा लिखती हो सन्ध्या ।

    जवाब देंहटाएं
  4. ज़िंदगी का केस जब खुद ही लड़ना पड़ता है, तो सही और गलत तय करना आसान नहीं होता। मैंने खुद कई बार महसूस किया है कि वक्त बदलते ही यादें, वादे और फैसले सबका रंग बदल जाता है। जो बात कभी सही लगी थी, बाद में वही भारी लगने लगती है।

    जवाब देंहटाएं