मुंसिफ़ तो साहिब है।
वक्त के बदलाव से सब बदल जाते हैं। … .सच है वक़्त के बदलाव को कोई नहीं जानता कब क्या बदलाव आ जाय बहुत सुन्दर प्रस्तुति
वाकई , विचारणीय रचना
बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
उम्दा रचना
प्रशंसनीय प्रस्तुति । बहुत अच्छा लिखती हो सन्ध्या ।
ज़िंदगी का केस जब खुद ही लड़ना पड़ता है, तो सही और गलत तय करना आसान नहीं होता। मैंने खुद कई बार महसूस किया है कि वक्त बदलते ही यादें, वादे और फैसले सबका रंग बदल जाता है। जो बात कभी सही लगी थी, बाद में वही भारी लगने लगती है।
मुंसिफ़ तो साहिब है।
जवाब देंहटाएंवक्त के बदलाव से सब बदल जाते हैं। … .सच है वक़्त के बदलाव को कोई नहीं जानता कब क्या बदलाव आ जाय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
वाकई , विचारणीय रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय प्रस्तुति । बहुत अच्छा लिखती हो सन्ध्या ।
जवाब देंहटाएंज़िंदगी का केस जब खुद ही लड़ना पड़ता है, तो सही और गलत तय करना आसान नहीं होता। मैंने खुद कई बार महसूस किया है कि वक्त बदलते ही यादें, वादे और फैसले सबका रंग बदल जाता है। जो बात कभी सही लगी थी, बाद में वही भारी लगने लगती है।
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