गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015

मुश्किल है बहुत मुश्किल ...

ज़िन्दगी अपनी
दास्तान अपनी
अदालत अपनी
अपने मुक़दमे
पैरवी अपनी
वादे, यादें
ख्याल, तजुर्बे
वक्त के बदलाव से
सब बदल जाते हैं
मुंसिफ बनकर
कोई फैसला देना
मुश्किल है
बहुत मुश्किल ...

6 टिप्‍पणियां:

  1. वक्त के बदलाव से सब बदल जाते हैं। … .सच है वक़्त के बदलाव को कोई नहीं जानता कब क्या बदलाव आ जाय
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  2. बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...

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  3. प्रशंसनीय प्रस्तुति । बहुत अच्छा लिखती हो सन्ध्या ।

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