मेरा चांद समझता है
मेरे चूड़ी, बिछुए, झुमके
पायल की रुनझुन बोली
सुन लेता है, वह सब
जो मुझे कहना तो था
लेकिन किसीसे ना बोली
पढ़ लेता है मेरी
आँखों की भाषा
हरपल बिखेरता रहता है
स्नेह की स्निग्ध चाँदनी
अमृत बरसाता है
अहसास दिलाता है
जीवन की धुरी हूँ मैं
अधूरा है वह मेरे बिना
कभी आधा नही होता
मेरा चाँद .....
मेरी खुशी में पूनम सा
जरा सी नाराजगी से
अमावस भले हो
वह चमकता चांद है
मेरी दुनिया के आसमान का
मैं शीतल किरणों में लिपटी
उसकी रौशनी से रौशन
धरती की तरह ..
('करवा चौथ' के मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें ....)
मेरे चूड़ी, बिछुए, झुमके
पायल की रुनझुन बोली
सुन लेता है, वह सब
जो मुझे कहना तो था
लेकिन किसीसे ना बोली
पढ़ लेता है मेरी
आँखों की भाषा
हरपल बिखेरता रहता है
स्नेह की स्निग्ध चाँदनी
अमृत बरसाता है
अहसास दिलाता है
जीवन की धुरी हूँ मैं
अधूरा है वह मेरे बिना
कभी आधा नही होता
मेरा चाँद .....
मेरी खुशी में पूनम सा
जरा सी नाराजगी से
अमावस भले हो
वह चमकता चांद है
मेरी दुनिया के आसमान का
मैं शीतल किरणों में लिपटी
उसकी रौशनी से रौशन
धरती की तरह ..
('करवा चौथ' के मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें ....)
बहुत सुन्दर भाव , शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 31 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
चाँद है तो कभी पूर्णिमा कभी अमावस आएगी ही...सुंदर भाव..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंVery Beautiful: www.hemantmodh.com
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