आई बरखा गूँजने लगा बूंदों का संगीत भीगने लगा अलसाया मौसम पहली फुहार के स्वागत को आतुर पंख पसारे मन मयूर धुल गई पत्ती-पत्ती खिल गई डाली-डाली कोरी धरती पर लिखने वाली है फिर से हरियाली .....
बारिश की पहली फ़ुहार अलसाए झुलसे मन के साथ प्रकृति को भी जीवन देती है। हरियाली प्राणी में नव प्राणों का संचार करती है। कम शब्दों में काफ़ी कुछ कहती है आपकी कविता। आभार
सुन्दर....
जवाब देंहटाएंधुली धुली, खिली खिली कविता ..
सस्नेह
अनु
पहली फुहार सी ताज़ी सरस कविता !
जवाब देंहटाएंखिल गई
जवाब देंहटाएंडाली-डाली
कोरी धरती पर
लिखने वाली है
फिर से हरियाली ..
.....क्या बात है एकदम सटीक चित्र खींचा है दी जबरदस्त.....क्या बात है!!
प्रकृति संग घुल मिल जाती कविता..
जवाब देंहटाएंबारिश के स्वागत में सुन्दर कविता ..
जवाब देंहटाएंबारिश की पहली फ़ुहार अलसाए झुलसे मन के साथ प्रकृति को भी जीवन देती है। हरियाली प्राणी में नव प्राणों का संचार करती है। कम शब्दों में काफ़ी कुछ कहती है आपकी कविता। आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंआपकी रचना ने इन बूंदों में घुलकर तृप्ति पाने की आकांक्षा जगा दी है.
जवाब देंहटाएंबहुत मनभावन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंपहली फुहार के इस आनद को बाखूबी लिखा है ... सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब , मंगलकामनाएं आपको !
जवाब देंहटाएंऔर तन-मन भी हो गया हरा-हरा..
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