शनिवार, 15 मार्च 2014

बिरज में होली रे कन्हाई …



बिरज में आज होली रे भाई 
सखियों संग नाचे रे राधिका
खेलत फाग अबीर हिलमिल 
ग्वालन संग  कुवंर कन्हाई
बिरज में आज होली रे भाई …

बाजत ताल मृदंग झांझ डफ
मंजीरा संग गुंजत शहनाई
उड़त गुलाल लाल भए बदरा
भई केसर रंग की छिड़काई
बिरज में आज होली रे भाई …

अबीर गुलाल हाथ पिचकारी 
गोपियाँ केसर रंग घोल लाईं 
पड़ गओ पाला रे नंदलाल से
झमकत टेसू रंग अबीर उड़ाई
बिरज में आज होली रे भाई …

लाल हरा गुलाबी रे सतरंगी 
नव कुसुम नव पल्लव फूले 
मुस्कावे मुख निरख-निरख
कैसे न होवे फ़िर यहाँ ढिठाई 
बिरज में आज होली रे भाई … 

इत भीजे पीलो पीताम्बर 
उत भीजे नवरंगी लहंगा 
धनक पहन फिरे लहरिया 
मानो इंदर ने झड़ी लगाई
बिरज में आज होली रे भाई …

श्याम रंग में रंगो वृंदावन
भेदभाव के टूटे सारे बंधन 
झूमें न्यारो अम्बर घन घन 
दुवार दुवार पे बजत बधाई
बिरज में होली खेले कन्हाई …

आपको और आपके परिवार को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं

7 टिप्‍पणियां:

  1. इत भीजे पीलो पीताम्बर
    उत भीजे नवरंगी लहंगा
    धनक पहन फिरे लहरिया
    मानो इंदर ने झड़ी लगाई
    बिरज में आज होली रे भाई …

    वाह...बहुत सुन्दर...
    आपको और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएं....
    सतरंगा जीवन हो!!

    सस्नेह
    अनु

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  2. शुभकामनायें ..... बहुत भावमयी और सुंदर रचना है ....

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  3. सुन्दर रचना ... होली कि बात और कान्हा का जीके न हो ऐसा हो नहीं सकता ..
    बधाई होली कि ...

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  4. आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  5. बिरज में होरी कि धूम मचाई ....बहुत सुंदर ...

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  6. होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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