गुरुवार, 14 नवंबर 2013

फूलों के मौसम में...


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शाम अभी ढली नही
सुबह अभी हुई नही
आओ करें इंतज़ार 
गुनगुनी सी धूप में
ठंडी-ठंडी बयार का
ढलती हुई शाम का
धुंधली सी सुबह का
रूठी सी चांदनी में
खोये से चाँद का
फूलों के मौसम में
झूमती बहार का...

12 टिप्‍पणियां:

  1. ये इंतज़ार तो सभी को है ... तभी जीवन है ...

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  2. बिना इंतज़ार के जीवन अधूरा है |
    उम्दा रचना संध्या जी |
    आशा

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  3. अच्छा लगता है ऐसा इंतज़ार....जिसका फल सदा मीठा हो!!!
    बहुत सुन्दर कविता.

    सस्नेह
    अनु

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण....

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