सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

आ जाओ चाँद... संध्या शर्मा

उषा की लाली संग 
अंगना रंगोली सजाकर 
घर का कोना -कोना 
स्नेह से महकाकर 
रसोई के सारे काम 
जल्दी से निबटाकर 
सोलह सिंगार कर
अक्षत, चन्दन, फूल
केसर, कुमकुम से 
भरी थाल सजाकर
संध्या की मधुर बेला 
पुकारूंगी तुम्हे चाँद
जब पलकें बिछाए 
करुँगी साथ उनके 
तुम्हारा भी इंतजार 
बादलों  की ओट में 
चुपके से छिप जाओगे   
लजाओगे शरमाओगे 
कुछ पल  सताओगे 
तुम भी जानते हो 
मेरे का मन का हाल  
क्योंकि उनकी तरह
तुम्हे भी है मेरा ख्याल
लेकिन जानती हूँ मैं
हौले से मुस्कुराकर 
आ ही जाओगे तुम ....
 
 सौभाग्य और ऐश्वर्य के पर्व 'करवा चौथ' की हार्दिक शुभकामनाएं ....

14 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्कार आपकी यह रचना आज मंगलवार (22-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

    जवाब देंहटाएं
  2. करवाचौथ के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें संध्या जी ! मन की कोमल भावनाओं को उजागर करती बहुत ही मनभावनी रचना ! बहुत-बहुत बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत प्यारी रचना.....
    सुहाग पर्व की अनेक शुभकामनाएं......

    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत प्यारी रचना....करवा चौथ की अनेक शुभकामनाएं......

    जवाब देंहटाएं
  5. पूरी कविता मन को छूती हुई गुजरती है

    जवाब देंहटाएं
  6. प्यारी मनभावन रचना ।एक रात में दो दो चाँद खिले :) ।करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाये ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही प्यारी रचना...
    करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ :-)

    जवाब देंहटाएं
  8. संध्या की मधुर बेला...बहुत सुन्दर रचना.. हार्दिक शुभकामनाएँ..

    जवाब देंहटाएं
  9. उषा की लाली संग
    अंगना रंगोली सजाकर
    घर का कोना -कोना
    स्नेह से महकाकर
    अनुपम भावों से सजी बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर रचना
    हार्दिक शुभकामनाएं
    नई पोस्ट मैं

    जवाब देंहटाएं