ख़बरों का अम्बार
ख़बरों भरा अखबार
कहीं नरसंहार
कहीं बलात्कार
पुलिस का अत्याचार
अधिकारियों का भ्रष्टाचार
नेताओं के हथकंडे
सुरक्षा बलों के डंडे
संवाददाताओं के पुलिंदे
रतजगे उनींदे
रेल बस की लेटलतीफी
मध्यम वर्ग की मज़बूरी
पक्ष की घोषणाएं
विपक्ष की आलोचनाएँ
मंत्रियों के दौरे
आश्वासनों के सकोरे
वादों के कुल्हड़
दावों पर हुल्लड़
रसोई गैस-पेट्रोल का अभाव
उस पर बढ़ते भाव
आम आदमी परेशान
महंगाई से हलाकान
सायकिल ओंटते हुए
पेट में भूख की जलन
अवसाद से भरा मन
मारा जाता है एक दिन
स्विस बैंक की रफ़्तारी
चपेट में आकर
बन जाता आम आदमी
अखबारों की खबर....!
किसी के लिए और किसी के लिए ख़ास .....खबर की अपनी दुनिया होती है और सब पर उसका अपना प्रभाव होता है .....!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंअभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
सटीक अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सटीक रचना !
जवाब देंहटाएंRECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
बहुत अच्छी रचना...सार्थक विचार लिए.
जवाब देंहटाएंसस्नेह
अनु
स्विस बैंक की रफ्तारी की चपेट में आकर मारा जाता है आम आदमी। यह पंक्ति बताती है कि आप अर्थव्यवस्था की विसंगतियों की अच्छी जानकारी रखते हैं।
जवाब देंहटाएंसार्थक विचार लिए.बहुत सुंदर .रचना..
जवाब देंहटाएंदेश की वर्तमान दशा पर सटीक कविता…… शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर और सार्थक रचना-----
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर आग्रह है मेरे ब्लॉग सम्मलित हों
पीड़ाओं का आग्रह---
http://jyoti-khare.blogspot.in
सच में आज आदमी सिर्फ एक ख़बर बन कर रह गया है..बहुत सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंदेश की वर्तमान स्थिति के कड़ा प्रहार है ... व्यंगात्मक सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंआम आदमी की जिंदगी दिन बा दिन कितनी मुश्किल होती जा रही है। ……. उसकी परेशानी को जुबान देते शब्द |
जवाब देंहटाएंजरूरी कविता ! बधाई !
जवाब देंहटाएंबस एक ओह !
जवाब देंहटाएंलाज़वाब संध्या जी ...हर खबर में पिस्ता है आम आदमी मेरे भी ब्लॉग पर आये
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आज की हकीकत एवं अवसादों को व्यक्त करती बहुत ही सुन्दर रचना आपकी
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