मेरी ही आँखें
मेरे ही अक्स को
घूरती हैं
अनजान की तरह
वो कुछ शब्द
जो यकीं दिलाते
मुझे मेरे होने का
क्यों नहीं बोलती
कितना मुश्किल है
इनकी ख़ामोशी तोडना
तुम कहते हो
आसान है सब
सच कहूँ....
कुछ भी अजीब नहीं लगता
आदत सी हो गई है
कर भी क्या सकती हूँ
फिर भी कोशिश में हूँ
अपनी ही आँखों में
अपनी पहचान ढूंढ़ने की
याद दिला सकूँ
कौन हूँ ??
जानती हूँ
बदल गई हूँ ....
मेरे ही अक्स को
घूरती हैं
अनजान की तरह
वो कुछ शब्द
जो यकीं दिलाते
मुझे मेरे होने का
क्यों नहीं बोलती
कितना मुश्किल है
इनकी ख़ामोशी तोडना
तुम कहते हो
आसान है सब
सच कहूँ....
कुछ भी अजीब नहीं लगता
आदत सी हो गई है
कर भी क्या सकती हूँ
फिर भी कोशिश में हूँ
अपनी ही आँखों में
अपनी पहचान ढूंढ़ने की
याद दिला सकूँ
कौन हूँ ??
जानती हूँ
बदल गई हूँ ....
जी बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
अपनी पहचान की चाह.... बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएं.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार हाय रे .!..मोदी का दिमाग ................... .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंअंतर्द्वंद्व , अपनी पहचान और मनोवैज्ञानिकता सब उभर आया है इस रचना में ....शिल्प भावानुकूल... !!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
दुःख और अनुराग की, होती कथा विचित्र।
लेकिन हैं हर हाल में , ये दोनों ही मित्र।।
--
आपकी पोस्ट का लिंक आज के चर्चा मंच पर भी है!
सादर सूचनार्थ!
http://charchamanch.blogspot.in/2013/03/1187.html
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक और सार्थक प्रस्तुति आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुद्नर आभार अपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
एक शाम तो उधार दो
आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे
सब कुछ बदलने पर भी कुछ है जो नहीं बदलता..सुन्दर शब्द दिया है आपने..
जवाब देंहटाएंKhoobsurat rachna
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंउम्दा , बहुत उम्दा ।
जवाब देंहटाएंकोशिश में हूँ
जवाब देंहटाएंअपनी ही आँखों में
अपनी पहचान ढूंढ़ने की
बहुत खूब
khud ko jaan ne ki kawayad... lajawab.
जवाब देंहटाएंNamaskar.
कभी कभी इंसान दूत जाता है ओर खुद को नहीं पहचानना चाहता ... पर जरूरी है साहस लाना ... खुद ही उठना ...
जवाब देंहटाएंवाह सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंओह ! मन का ये अंतर्द्वंद ...अपनी ही पहचान खुद में ढूँढना कितना पीड़ादायक है ...बहुत भावपूर्ण रचना ....
जवाब देंहटाएंएक नजर के इंतज़ार में ...स्याही के बूटे ....
अपनी आंखे अपने अक्स को घुरना आत्मा का परीक्षण करने जैसा है और ऐसा हर एक को होना चाहिए।
जवाब देंहटाएंdrvtshinde.biogspot.com