
भावों के कालजयी मंच पर
हंसती, मुस्कुराती,गाती
ख़ुशी से थिरक रही हैं
मंद, तेज़ चाल चलती
शब्दों की रंग बिरंगी
चूनर पहन इठलाती
करती फिर रही हैं
प्रतिभा का प्रदर्शन
रूप का जादू दिखाती
सजीली मुस्कान लिए
आभार प्रकट करती...
हमारे मन की व्याकुलता
झंझावातों की तपिश
नयनो में उमड़ता
अस्तित्व का ज्वार
झूठी प्रसंशा से भरी
करतल ध्वनियाँ
इतनी पीड़ा के घाव
उनका ठाठ-बाट
ऐश्वर्य-वैभव सब कुछ
बनाये रखेगा
क्या उनका भी हृदय
हो जायेगा विह्वल
द्रवित मन बचा सकेगा
उनकी यह सुन्दरता...
क्या तब भी ये सुंदरियां
बाहर से जैसी दिखती है
अन्दर भी वैसी ही होंगी ?????
हमारे मन की व्याकुलता
जवाब देंहटाएंझंझावातों की तपिश
नयनो में उमड़ता
अस्तित्व का ज्वार
झूठी प्रसंशा से भरी
करतल ध्वनियाँ
इतनी पीड़ा के घाव
उनका ठाठ-बाट
ऐश्वर्य-वैभव सब कुछ
बनाये रखेगा
क्या उनका भी हृदय
हो जायेगा विह्वल
द्रवित मन बचा सकेगा
उनकी यह सुन्दरता...
इन पंक्तियों को पढ़ने के बाद कुछ कहने को रह ही नहीं जाता।
सोचने को मजबूर करती कविता।
सादर
प्रत्येक पंक्ति के अक्षर स्वतः बयां कर रहे हैं उन नर्तकियों की व्यथा…
जवाब देंहटाएंऔर आपका तो इन चीजों मे महारत हासिल है … बहुत ही सुंदर
नर्तकियों की व्यथा की सहज शब्दों से सुंदर प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंresent post : तड़प,,,
नर्तकियों की मनोव्यथा को शब्द दिए है आपने...
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील रचना....
सुन्दर और गहन रचना है...
जवाब देंहटाएंव्यथित करते हुए भाव हैं...
सस्नेह
अनु
जवाब देंहटाएंकल 30/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
एक नर्तकी पहले नारी है ...और नारी मन की पीड़ा ,अलग नहीं हो सकती |
जवाब देंहटाएंगहन भाव। ठीक से समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपका आशय नृत्यसुंदरियों से है अथवा हमारे अतर्अभिव्यक्ति रूपी सुंदरियों से। पर पढते समय मन खो जाता है।
जवाब देंहटाएंसादर-
देवेंद्र
मेरी नयी पोस्ट- कार्तिकपूर्णिमा
वाह बहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंअरे, अभिव्यक्ति की एक सुंदरी आप भी तो हैं :)
जवाब देंहटाएंशब्दों की रंग बिरंगी चुनर यहाँ भी नज़र आ रही है।
चलिए एक सुंदरी हम भी बन जाते हैं ...आपका आभार प्रकट करके। :)
अरे, अभिव्यक्ति की एक सुंदरी आप भी तो हैं :)
जवाब देंहटाएंशब्दों की रंग बिरंगी चुनर यहाँ भी नज़र आ रही है।
चलिए एक सुंदरी हम भी बन जाते हैं ...आपका आभार प्रकट करके।
(दोबारा ये कमेन्ट दे रही हूँ, लगता है पहला कमेन्ट स्पैम में चला गया)
बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति रूपी सुंदरियों के भिन्न भिन्न रूप ... अच्छी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमन की व्यथा को छुपाना आसान नहीं होता ... पर मजबूरियाँ कभी कभी साथ नहीं देती ...
जवाब देंहटाएंइन अभिव्यक्ति की सुंदरियों को अवश्य बचाना होगा .ये हमारा नैतिक दायित्व है ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी विचारणीय रचना ।
जवाब देंहटाएंकल 08 /मार्च/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
अंतर्मन की व्यथा समझना आसान नहीं ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ..
होली की हार्दिक मंगलकामनाएं!
अद्भुत अहसास..
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