ज़िंदगी में हर लम्हा मिला एक रास्ता,
मंज़िल थी पर कहाँ, क्या पता?
कदम बढ़ते रहे, कई मोड़ से गुज़रे,
कभी सहारे मिले, कभी रह गए अकेले.
कभी सुकून मिला पाकर?
कभी घबराये इनको खोकर.
राह मिलती गई, पर अंत अभी न आया है,
मगर हर राह से, कुछ ना कुछ तो पाया है.
अपनी रफ़्तार मैं बढाने लगी,
मंज़िल नज़दीक और आने लगी.
उम्मीद दे रही है मुझको सदा,
किसी ना किसी राह पर, हर ग़म, हर उलझने हो जाएँगी जुदा......
उम्मीद दे रही है मुझको सदा,
जवाब देंहटाएंकिसी ना किसी राह पर, हर ग़म, हर उलझने हो जाएँगी जुदा......
सुन्दर अति सुन्दर, मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती शानदार रचना.
'अपनी रफ़्तार मैं बढ़ाने लगी
जवाब देंहटाएंमंजिल नज़दीक और आने लगी '
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जिंदगी को हौसला देती ....भावपूर्ण रचना
सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंआशा को प्राणवान करती विश्वास को जगाती सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
उम्मीद का दामन कभी नही छोडना चाहिये।
जवाब देंहटाएंउम्मीद दे रही है मुझको सदा,
जवाब देंहटाएंकिसी ना किसी राह पर, हर ग़म, हर उलझने हो जाएँगी जुदा......
उम्मीद ही तो है जो देती है मंज़िल तक पहुँचने का सहारा..बहुत सकारात्मक सोच..सुन्दर रचना
behtareen abhivyakti
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंउम्मीद है तो सब है.
निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा.... राह पकड़ तू एक चलाचल की याद दिलाती कुछ पंक्तियां.... बहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंआकर्षण
उम्मीद दे रही है मुझको सदा,
जवाब देंहटाएंकिसी ना किसी राह पर, हर ग़म, हर उलझने हो जाएँगी जुदा.....
बढ़िया रचना
शुभकामनायें आपको !
यदि मंजिल का हो पता और इंसान उसे पाने की राह पर चल
जवाब देंहटाएंपड़े तो भाग्यशाली है.क्यूंकि एक न एक दिन मंजिल मिल ही
जायेगी.
आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
उम्मीद में ही दुनिया टिकी है।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना।
अच्छे भाव।
शुभकामनाएं आपको।
बहुत सुन्दर भावना पूर्ण रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसंध्या जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता लिखी है
बहुत खूब बहुत सुन्दर.... लाज़वाब प्रस्तुति.....सार्थक सृजन
इस सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
अपनी रफ़्तार मैं बढाने लगी,
जवाब देंहटाएंमंज़िल नज़दीक और आने लगी.
खूब संध्याजी..... जीवन आशा को जगाती पंक्तियाँ....
अत्मविश्वास बना रहे हार जीत तो दोनो ही जीवन के अंग हैं---
जवाब देंहटाएंकुछ पाने से अधिक महत्व रखते हैं ज़िन्दगी के तज़ुर्बे। अच्छी रचना के लिये बधाई।
apni raftaar me bdhane lagi, manjil or paas aane lagi. . . Manjil ko pane ki prerna deti rachna. . . . . . . . . . , . . Jai hind jai bharat
जवाब देंहटाएंउम्मीद दे रही है मुझको सदा,
जवाब देंहटाएंकिसी ना किसी राह पर, हर ग़म, हर उलझने हो जाएँगी जुदा..
जीवन में इसी उम्मीद का दामन राह दिखाता है ... बहुत खूब ...
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जवाब देंहटाएंअपनी रफ़्तार मैं बढाने लगी,
जवाब देंहटाएंमंज़िल नज़दीक और आने लगी.
उम्मीद दे रही है मुझको सदा,
किसी ना किसी राह पर, हर ग़म, हर उलझने हो जाएँगी जुदा......
आपकी कविता में आशावादी दृष्टिकोण मुझे बहुत अच्छा लगा.
जीवन का सत्य।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर,शानदार रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खुब जिन्दगी कि सच्चाई यहि यह कि हमे कभी हर नही मानना चाहिए
जवाब देंहटाएंblog ki progress k liye apko bahut bahut shubhkamnaye :)
जवाब देंहटाएंhttp://shayaridays.blogspot.com