मंगलवार, 22 मार्च 2011

चलो थोड़ा सो लें ............. संध्या शर्मा

उन्होंने शुरू किया 
अपना टेक्नीकल भाषण 
और समझाने लगे 
परमाणु ऊर्जा का महत्त्व
सारे नेता होने लगे
झपकी लेने में व्यस्त
जैसे - जैसे विषय गहराने लगा
उनकी नींद भी गहराने लगी
आखिर ये 
निश्चिंतता भरी नींद
आती क्यों नहीं?
जैतापुर को 
सुनामी से खतरा  हो न हो
वो अच्छी तरह से जानते हैं
इससे उनकी कुर्सी को
कोई खतरा नहीं
भारत के परमाणु संयंत्रों की
सुरक्षा की बात पर
वो टेंशन क्यों लें
गद्दी पर खतरा नहीं
तो वे क्यों जागें
तो चलो थोड़ा सो लें.... 

23 टिप्‍पणियां:

  1. आपने एक गहरा व्यंग्य किया है देश के राजनीतिज्ञों पर ..सुंदर पोस्ट

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  2. बहुत अच्‍छा व्‍यंग्‍य।
    यही हाल है देश के कर्णधारों का।
    शुभकामनाएं आपको।

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  3. बेहतरीन कटाक्ष .... सार्थक पंक्तियाँ रची हैं...

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  4. बहुत ही अच्छा और सटीक कटाक्ष किया है
    जब उन्नति के सभी मार्ग
    राजनीति के हवाले कर दिए जाते हैं
    सारी समस्याएं तभी तो कभी सुलझ नहीं पातीं

    अच्छे काव्य के लिए अभिवादन स्वीकारें

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  5. "जो सोवे वो खोवे" कब समझ पायेंगे हम और हमारे नेता लोग.
    'तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा '
    सुन्दर आँख खोलती अभिव्यक्ति.
    क्या बात है संध्याजी ,कहीं नाराज तो नहीं जो 'बिनु सत्संग बिबेक न होई' आपके दर्शन और ज्ञान से वंचित है अभी तक.

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  6. बहुत बढ़िया व्यंग.
    दानिश जी ने ठीक ही लिखा है.
    हमने तरक्की के सारे रास्ते राजनीती के हवाले कर दिए हैं.
    और नेता सो रहे तरक्की को भी सुलाकर.
    हमारा देश राम भरोसे ही चल रहा है.

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  7. Desh durdasha par unmukt vichar ke liye aabhaar...

    hamre desh ke netaon ka yahi hai charitra...

    bahut khoob likha aapne...badhayee

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  8. बहुत खूब लिखा है आपने ...बेहतरीन।

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  9. बहुत गहरा कटाक्ष ....अच्छी प्रस्तुति

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  10. आदरणीय संध्या जी
    नमस्कार !
    सही लिखा है आपने
    ......बहुत बढ़िया व्यंग

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  11. बेचारे, जब विषय समझ में नहीं आता तो झपकी लेकर ही अपनी झेंप मिटाते हैं। भारतीय प्रजातंत्र का यह सर्वाधिक लोकप्रिय मंत्र है जिसे आपने कविता में खूब समेटा है।

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  12. बेहतरीन कटाक्ष राजनीतिज्ञों पर| धन्यवाद|

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  13. बहुत खूब ...महत्वपूर्ण विषय और नया सा अंदाज़ ! शुभकामनायें संध्या जी !

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  14. भारत के परमाणु संयंत्रों की
    सुरक्षा की बात पर
    वो टेंशन क्यों लें
    गद्दी पर खतरा नहीं
    तो वे क्यों जागें
    तो चलो थोड़ा सो लें...

    खूबसूरती से नेताओं पर व्यंग किया है आपने.

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  15. बहुत अच्‍छा सार्थक व्‍यंग्‍य।
    शुभकामनायें संध्या जी !

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  16. जिन्हें नहीं जगना है वे नहीं जगते
    बदनामी से न सुनामी से
    जिन्हें जगना है वे जगें तो बात बने।

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  17. कल अपनी भी बारी है
    इस कविता पर भारी है

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  18. rajneeti ab sirf aur sirf kursi ka khel ho gayee hai chahe us kursi ke paye logo ki lashon par hi kyon na tike ho...bahut teekha vyang....

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