मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

बस इतनी दुआ दो


उम्रभर सूरज तुमको  माना करेंगे ,
मेरे मन का तुम अँधियारा मिटा दो.
दीया हूँ एक, दुआ के वास्ते ही सही,
चलो आओ गंगा में मुझको बहा दो.
लो आंच इसकी भी कम होने लगी है,
ये आतिश बुझे न ज़रा तो हवा दो.
तसव्वुर का पानी जो ठहरा हुआ है,
यादों का अपनी एक कंकर गिरा दो.
खुशियाँ हैं ग़म है, होश बेहोशियाँ हैं,
जिंदगानी से मेरी, ये जलसा उठा दो,
क़ायम रहे ये दीवानगी अब दुआ है,
खातिर मेरी बस इतनी दुआ दो,
यादों की बस्ती का हूँ एक मुसाफिर,
दो पल ठहरने की न इतनी सज़ा दो..

34 टिप्‍पणियां:

  1. यादों की बस्ती का हूँ एक मुसाफिर,
    दो पल ठहरने की न इतनी सज़ा दो..

    बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुती..बहुत सुन्दर .

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  2. क़ायम रहे ये दीवानगी अब दुआ है,
    खातिर मेरी बस इतनी दुआ दो,
    यादों की बस्ती का हूँ एक मुसाफिर,
    दो पल ठहरने की न इतनी सज़ा दो..

    आदरणीय संध्या जी
    आध्यात्मिक भावों को अभिव्यक्त करती आपकी यह रचना बहुत सुंदर बन पड़ी है ....

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  3. खातिर मेरी बस इतनी दुआ दो,
    यादों की बस्ती का हूँ एक मुसाफिर,
    दो पल ठहरने की न इतनी सज़ा दो..

    bahut pyari abhivyakti...!!

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  4. आदरणीय संध्या जी
    नमस्कार !
    तसव्वुर का पानी जो ठहरा हुआ है,
    यादों का अपनी एक कंकर गिरा दो
    .....मर्मस्पर्शी प्रस्तुती
    सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  5. पढने के बाद बस वाह ही निकला ...
    बेहतरीन...

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  6. यादों की बस्ती का हूँ एक मुसाफिर,
    दो पल ठहरने की न इतनी सज़ा दो.
    वाकई बेहतरीन...

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  7. बहुत बढ़िया कामना की है सूर्य देवता से!
    बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!

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  8. संध्या जी
    नमस्कार !

    बहुत ख़ूबसूरत भाव-शिल्प के साथ लिखी गई रचना के लिए बधाई !
    … आपकी यह ख़ूबसूरत रचना लगभग गज़ल ही है …

    बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  9. Kailash C Sharma जी
    केवल राम जी
    Mukesh Kumar Sinha जी
    संजय भास्कर जी
    शेखर सुमन जी
    सुशील बाकलीवाल जी
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" जी
    आपका स्नेह और समर्थन निरंतरता की तरफ प्रेरित करता है ......आप सभी का शुक्रिया.......

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  10. उम्रभर सूरज तुमको माना करेंगे ,
    मेरे मन का तुम अँधियारा मिटा दो.

    और जो हमारे मन के अँधेरे को मिटा देता है ..वो हमारे लिए सूरज से भी बढ़कर होता है ...बहुत सुंदर भाव ...शुभकामनायें

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  11. khoobsoorat , gaane layak ...vo sooraj hai kyonki hamne use sooraj mana hai ....

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  12. क़ायम रहे ये दीवानगी अब दुआ है,
    खातिर मेरी बस इतनी दुआ दो,

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  13. बहुत सुंदर संध्याजी...... सुंदर शब्दों से सजी भावाभिव्यक्ति ....प्रभावित करती रचना

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  14. बसंत पंचमी के अवसर में मेरी शुभकामना है की आपकी कलम में माँ शारदे ऐसे ही ताकत दे...:)

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  15. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.आभार

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  16. राजेंद्र स्वर्णकार जी, केवल रामजी, शारदा अरोराजी, कुवर कुशुमेश जी, डॉ. मोनिका शर्माजी, संजय भास्कर जी, देवेन्द्र शर्मा जी
    आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूँ, यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहिये.... ....आप सबका धन्यवाद

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  17. यादों की बस्ती का हूँ एक मुसाफिर,
    दो पल ठहरने की न इतनी सज़ा दो..


    बहुत सुंदर ...दो पल ठहरने की सजा ...

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  18. बहुत ही सुन्दर रचना.
    हर शेर उम्दा.
    आपकी कलम को सलाम

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  19. यदों की बस्ति का हूँ मै मुसाफिर---- बहुत सुन्दर रचना है। बधाई।

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  20. यादों की बस्ती का हूँ एक मुसाफिर,
    दो पल ठहरने की न इतनी सज़ा दो.
    सुन्दर रचना

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  21. आप सबका ह्रदय से आभार.. आपने
    मुझे प्रोत्साहित किया ...यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहिये ताकि और भी प्रगति कर सकूँ ....
    आप सबका धन्यवाद.........

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  22. कित्ती प्यारी और सुन्दर कविता...अच्छा लगा यहाँ आकर..बधाई.
    ______________________________
    'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !

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  23. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| आभार|

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  24. अति सुंदर दार्शनिक भावों को अभिव्यक्त करती आपकी रचना दिल को छूती है.प्रभु आपको सत्-भावों से सदा प्रेरित करें .

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