सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

हर लम्हा - हर पल... संध्या शर्मा

लो गुज़र गया 
एक और दिन
एक और झूठी आस में
अब हंसती भी हूँ 
तो लगता है
अहसान कर रही हूँ
अपने आप पर
खुश्क आँखें भी अब 
अश्क टपकाती नहीं
बस यूँ ही लगता है
हर लम्हा हर पल...
कि ....
तरस आ जाये कभी
वक़्त को भी 
मुझ पर
क्योकि.... 
अब भी है आसरा तेरा
हर पल है अहसास तेरा
और ....
मिल जाये मुझे वो पल
जिसकी है तलाश मुझे
हर लम्हा - हर पल............

27 टिप्‍पणियां:

  1. 'अब हंसती भी हूँ
    तो लगता है
    अहसान कर रही हूँ
    अपने आप पर '
    ह्रदय का दर्द उकेर दिया रचना में !

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  2. शब्द-शब्द में समाया हुआ-सा
    पल - पल
    हर पल की प्रतीक्षा का दर्द ...
    अच्छी नज़्म !

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  3. बहुत उम्दा नज़्म.

    मिल जाए मुझे वो पल
    जिसकी है तलाश मुझे

    उस एक पल की तलाश में तो उम्र छोटी पड़ जाती है.
    सलाम

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  4. इन्तजार की पीड़ा को बड़े ही संवेदनशीलता से उकेरा है रचना में..शब्दों और भावों का बहुत सुन्दर सामंजस्य..बहुत सुन्दर

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  5. "अब हंसती भी हूँ
    तो लगता है
    अहसान कर रही हूँ
    अपने आप पर"

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  6. ज़िन्दगी मे तलाश कब खत्म होती है। एक चीज़ मिल जाये तो दूसरी की शुरू हो जाती है। सुन्दर भाव। शुभकामनायें।

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  7. बहुत खूबसूरती से मन की तड़प को उकेरा है ! बहुत सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  8. ज़िंदगी यूँ ही गुज़रती जाती है ..किसी तलाश में ...खुद पर अहसान करने की बात में वेदना छलक पड़ी है ..

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  9. अंतर्मन की वेदना को कमाल के शब्द दिए हैं ...... बेहतरीन
    अब हंसती भी हूँ............. बेमिसाल पंक्तियाँ लगी संध्या जी .....

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  10. gOOd poem, i believe you are budding poetess...kudos and all the best for your future

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  11. बहुत सुंदर सीख देती एक सरल किंतु गम्भीर रचना| धन्यवाद | प्रभावकारी लेखन के लिए बधाई।

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  12. संध्या जी,
    गहरी संवेदना को मुखरित कर रही है आपकी कविता !
    सुन्दर शब्द संयोजन !
    शुभकामनाएँ

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  13. लम्‍हें को पकड़ने की तस्‍वीर अच्‍छी लगाई है आपने

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  14. काश हम पकड़ पाते लम्हें लम्हें को और जी पाते इसे संजीदगी से ..आपने हरेक शब्द में गहरा अर्थ अभिव्यक्त किया है ...

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  15. मेरा खुद पर हँसना .....नए भाव बोध का सूचक है और गहरे अर्थ का द्योतक है ....शुक्रिया

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  16. Bahut hi sunder rachna badhai sweekar karne...
    her ek sabd khub ba khud apni kahani baya ker rha hai

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  17. बहुत सुंदर सीख देती एक सरल किंतु गम्भीर रचना| धन्यवाद |

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  18. मेरी रचना को सराहने और इतना प्यार देने के लिए आप सभी का बहुत - बहुत आभार.....

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  19. आपके पवित्र और भावुक हृदय से बही भाव सरिता ने हमारे हृदय को भी मगन कर दिया .प्यार तो मिलना लाजमी है .

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  21. मिल जाये मुझे वो पल
    जिसकी है तलाश मुझे
    बेमिसाल पंक्तियाँ.......संध्या जी !

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