अधपके बालों के बीच
दर्द भरा निस्तेज चेहरा
निढाल, बेहाल
निढाल, बेहाल
जैसे गिन रहा हो अपनी ही
सांसों का आना-जाना
ज्वर की तपन से तप्त
सांसों का आना-जाना
ज्वर की तपन से तप्त
रग-रग में दौड़ती थकान
दिनभर की भाग-दौड़ से
दिनभर की भाग-दौड़ से
चूर-चूर मज़बूर
व्याकुल शरीर
व्याकुल शरीर
कब से जुटा रहा है
थोड़ी सी हिम्मत
उठे जाकर ला सके
एक गिलास पानी
सूखते गले को
मिले थोड़ी राहत
और निगल सके
बुखार की दवा
कांपती उंगलियाँ
लड़खड़ाते पाँव
साथ नहीं देते
उसी वक़्त अचानक
गूंजी एक रौबदार आवाज़
रामू एक गिलास पानी ला
अगले ही पल चल पड़ी
वह चलती फिरती लाश
ओढ़कर गरीबी का कफ़न
बुझाने पराई प्यास....
उठे जाकर ला सके
एक गिलास पानी
सूखते गले को
मिले थोड़ी राहत
और निगल सके
बुखार की दवा
कांपती उंगलियाँ
लड़खड़ाते पाँव
साथ नहीं देते
उसी वक़्त अचानक
गूंजी एक रौबदार आवाज़
रामू एक गिलास पानी ला
अगले ही पल चल पड़ी
वह चलती फिरती लाश
ओढ़कर गरीबी का कफ़न
बुझाने पराई प्यास....
.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार जया प्रदा भारतीय राजनीति में वीरांगना .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
जवाब देंहटाएंगरीबी के जीवन की यही व्यथा कथा ....मर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्कृष्ट और मार्मिक व्यथा की प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंअभिशप्त गरीब .. जिनका मजाक उड़ाती गरीबी..
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक रचना ...
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मिक....
जवाब देंहटाएंमजबूरी/गरीबी इंसान को तोड़ देती है...
सस्नेह
अनु
मन को छूती पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
इंजीनियर प्रदीप कुमार साहनी अभी कुछ दिनों के लिए व्यस्त है। इसलिए आज मेरी पसंद के लिंकों में आपका लिंक भी चर्चा मंच पर सम्मिलित किया जा रहा है और आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (03-04-2013) के “शून्य में संसार है” (चर्चा मंच-1203) पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर..!
गरीबी की व्यथा को दर्शाती
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी रचना...
यह रचना अत्यंत मार्मिक लगी । गरीब परिस्थिति का बखूबी ढंग से उल्लेख किया गया । अतिसुन्दर!!
जवाब देंहटाएंगरीबी और मजबूरी में सहना और करना पड़ता है,,,
जवाब देंहटाएंRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
ab to ye pyaas bhi paraayeee ho gayee.
जवाब देंहटाएंbehtreen ........!
उफ़...बेहद मार्मिक.....शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउफ़...बेहद मार्मिक.....शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंmarmik wa bhawpoorna prastuti
जवाब देंहटाएंअन्यों को जो पानी पिला सकता है...वह खुद भी प्यासा नहीं रहेगा..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ..
जवाब देंहटाएंगरीबी अभिशाप ही तो है ..
अपने लिए न जीकर औरों के लिए जीयो..