ना कोई डोर/ नातों की ना कोई बंधन/ वादों का फिर भी... साथ चलते जाना सदा नीरा के सिमटने से मिलन का अहसास पास होकर भी दूर होना दो किनारे हैं... तो क्या हुआ ??? अथाह है प्रेम पराकाष्ठा तय है एक दिन समन्दर होना....
नदी का सागर से मिलन और उसे एहसास भी की एक दिन सागर होना है, बढिया। यह लागु प्रकृति के साथ सभी जीव-जंतुओं के लिए भी होता है। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष आपकी कविता में भी आ रहा है संध्या जी। हर इंसान का प्रेम सीमटे नहीं संमुदर की तरह व्यापक और विस्तृत बनने का भाव मूल्यवान है।
संध्या जी, बहुत ही अद्भुत अनुभूति है, जिसे आपने बड़ी सुदंरता से शब्दों में पिरोआ। वैसे भी प्यार हमेशा धैर्य और विश्वास मांगता है। बाकी सब खुद हो जाता है।
वाह...
जवाब देंहटाएंतय है एक दिन
समन्दर होना....
बहुत सुन्दर!!!
सस्नेह
अनु
अथाह है प्रेम पराकाष्ठा
जवाब देंहटाएंतय है एक दिन
समन्दर होना....
RECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.
नदी का सागर से मिलन और उसे एहसास भी की एक दिन सागर होना है, बढिया। यह लागु प्रकृति के साथ सभी जीव-जंतुओं के लिए भी होता है। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष आपकी कविता में भी आ रहा है संध्या जी। हर इंसान का प्रेम सीमटे नहीं संमुदर की तरह व्यापक और विस्तृत बनने का भाव मूल्यवान है।
जवाब देंहटाएंतय है एक दिन
जवाब देंहटाएंसमन्दर होना....
बहुत खूब कहा आपने .... बेहतरीन अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर .... साथ साथ एक ही मंज़िल को पाना ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
जवाब देंहटाएंसंयम की, प्रेम की पराकाष्ठा ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब अभिव्यक्ति ....
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
प्रेम की अति सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन...
:-)
आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.in/
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंवादों का
जवाब देंहटाएंफिर भी...
साथ चलते जाना
सदा नीरा के सिमटने से
मिलन का अहसास
..........बहुत शानदार पंक्तियाँ बहुत बढ़िया दीदी
संयम और प्रेम की पराकाष्टा |
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव लिए रचना |
आशा
अथाह है प्रेम पराकाष्ठा
जवाब देंहटाएंतय है एक दिन
समन्दर होना....
ये तीन पंक्तियाँ रचना को विशिष्टता प्रदान कर रही हैं शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई|
अथाह है प्रेम पराकाष्ठा
जवाब देंहटाएंतय है एक दिन
समन्दर होना....
बहुत शानदार
सुंदर भावाभिव्यकति
जवाब देंहटाएं"सदा नीरा" सतत प्रवाहमयी नदी।
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअथाह है प्रेम पराकाष्ठा
जवाब देंहटाएंतय है एक दिन
समन्दर होना....
गजब का विश्वास और गहरापन आस्था लिए .......
बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंपधारें बेटियाँ ...
तय है एक दिन...पर वह एक दिन हमें ही लाना होगा...
जवाब देंहटाएंफिर भी...
जवाब देंहटाएंसाथ चलते जाना
सदा नीरा के सिमटने से
मिलन का अहसास
पास होकर भी दूर होना
दो किनारे हैं...bahut badhiya .....
अथाह है प्रेम पराकाष्ठा
जवाब देंहटाएंतय है एक दिन
समन्दर होना...बेहतरीन
बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंसंध्या जी, बहुत ही अद्भुत अनुभूति है, जिसे आपने बड़ी सुदंरता से शब्दों में पिरोआ। वैसे भी प्यार हमेशा धैर्य और विश्वास मांगता है। बाकी सब खुद हो जाता है।
जवाब देंहटाएंAtti uttam ... Badhai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ***फिर भी...
जवाब देंहटाएंसाथ चलते जाना
सदा नीरा के सिमटने से
मिलन का अहसास
पास होकर भी दूर होना
दो किनारे है..
अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत भाव ...!!
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