रविवार, 14 अगस्त 2016

आज़ादी....!



एक बात कहूँ..?
खरीदोगे तो
अपमान करोगे
सड़कों पर फेंकोगे
न खरीदोगे तो
नन्हे मज़दूरों का
साल भर का 
इन्तज़ार व्यर्थ
चलो मान लिया
तुम मना लोगे 
इनके बनाए हुए
झंडे बिना आज़ादी
क्या है कोई हल...?
जो पूरा कर दे इनके
छोटे - छोटे सपने
जो दिला सके इन्हें
भूख और गरीबी से
आज़ादी....!

7 टिप्‍पणियां:

  1. सच्ची आज़ादी तो तभी आणि मानी जायगी ... गहरी बात है इन पंक्तियों में ...

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  2. कब मिलेगी सच्छी आजादी यक्ष प्रश्न है यह?

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