सहचर रास्ते ...
पथ से बिना डिगे
हर स्थिति
हर तकलीफ से
जूझते हुए हर रात
तारों के साथ
बतियाती हूँ/बिताती हूँ
रात कटती है
हर पल
राह बनाते
नए ख्वाब बुनते
हर सुबह चलती हूँ
उन राहों पर
साथ उजालों के
क्योंकि...
मंज़िल तो ठहराव है
और रास्ते
सदा साथ होते हैं
अनवरत
साये की तरह
सहचर बन कर
जीवनपर्यंत...
जारी रहे यात्रा .... सार्थक, सकारात्मक भाव
जवाब देंहटाएंवाकई यह यात्रा अनवरत है। इस भावना को बनाए रखें। किसी की आवश्यकता भी नहीं होगी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंमंजिल ठहराव है, एक जगह ठहरा देती है। रास्ता हर वक्त कुछ न कुछ नए अनुभव देता है क्योंकि जो सतत चलता है वह दुनिया और जिन्दगी दोनों को करीब से देखता है और अनुभव करता है।
जवाब देंहटाएंहर राह की कहानी देखते सुनने रहने पर ही यात्रा की असल तृप्ति है. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंमंजिल पर जो रुक गया वह चूक गया नई नई मंजिलों से...सुंदर भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंरास्ते जरूर रहते हीन साथ पर साए ... वो तो अक्सर साथ छोड़ जाते हैं अँधेरे में ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
वाह !!! बहुत सुन्दर रचना ----
जवाब देंहटाएंजीवन का सार्थक सच कहती हुई ---
बधाई ----
आग्रह है ---
आवाजें सुनना पड़ेंगी -----
अनवरत यात्रा
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