बुधवार, 31 जुलाई 2013

सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ...संध्या शर्मा

सखी री! गुनगुनाऊँ, 
गीत एक गाऊँ
अपनो के मेले मे,
कभी अकेले में,
एक पल मुस्कुराऊँ,
गीत एक गाऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ

बरखा की रिमझिम में,
फ़ुहारों की टिम टिम में,
पंख फ़ैलाए उड़ जाऊँ
झिंगुरों की छुनछुन में,
घुंघरुओं की रुनझुन में,
बांसुरी बन बन जाऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ

पायल की रुनझुन में
झरनों की कल कल में,
हरियाली चूनर सजाऊँ
चिड़ियों की चुन चुन में,
भौंरों की गुन गुन में,
भीगी भीगी सी लहराऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ

लता पात की मुस्कानों में,
दामिनी के आसमानों में,
सुनहरे गोटे जड़ाऊँ,
प्रात की मधुर वेला में,
अनुपम किरणों की छटा में,
स्वागत थाल सजाऊँ .
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ

सपनों के अपने गाँव में,
बरगद पीपल की छांव में,
पींगे खूब झुलाऊँ,
चम्पा की सुगंध में,
गुड़हल के मकरंद में,
बन के सुवास समा जाऊँ,
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ

धरती की धानी चुनरी पे, 
गगन की सुंदर कुरती पे,
चाँद सितारे जड़ाऊँ,
क्षितिज के छोरों में,
सरस सलिला के धोरों में,
एक नया जीवन पाऊँ .
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ

सावन की गोरी सी,
पनघट की अल्हड़ छोरी सी,
मैं मंद मंद मुस्काऊँ
आएगें सजना जब,
बोलेगें पायल कंगना तब,
मैं बिंदिया अब सजाऊँ
सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ

24 टिप्‍पणियां:

  1. आएगें सजना जब,
    बोलेगें पायल कंगना तब,
    मैं बिंदिया अब सजाऊँ
    सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ,,,
    बहुत खूब सुंदर गीत ,,,
    RECENT POST: तेरी याद आ गई ...

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  2. ज़रूरर गुनगुनाइए....
    हम भी गुनगुना रहे हैं आपका ये प्यारा गीत.....
    बहुत ही सुन्दर.

    सस्नेह
    अनु

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  3. बहुत ही भावपूर्ण गीत प्रस्तुति !!

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  4. भावमय शब्द..सुंदर चित्र !

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  5. धरती की धानी चुनरी पे,
    गगन की सुंदर कुरती पे, ............बहुत ही भावमयी, सुन्‍दर गीत।

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  6. रिमझिम रुनझुन सा मनमोहक गीत !

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  7. भीगी भीगी सी लहराऊँ
    सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ
    अहा! मौसम का जादू ....

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  8. बहुत ही सुन्दर मनभावन प्रस्तुति..
    बेहतरीन....
    :-)

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  9. सावन की गोरी सी,
    पनघट की अल्हड़ छोरी सी,
    मैं मंद मंद मुस्काऊँ
    आएगें सजना जब,
    बोलेगें पायल कंगना तब,
    मैं बिंदिया अब सजाऊँ
    सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ

    खुबसूरत कामनाओं की माला

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  10. सपनों के अपने गाँव में,
    बरगद पीपल की छांव में,
    पींगे खूब झुलाऊँ,
    चम्पा की सुगंध में,
    गुड़हल के मकरंद में,
    बन के सुवास समा जाऊँ,..........सुन्दर गीत .

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  11. आएगें सजना जब,
    बोलेगें पायल कंगना तब,
    मैं बिंदिया अब सजाऊँ
    सखी री! गुनगुनाऊँ, गीत एक गाऊँ ...

    बहुत सुन्दर भाव मय गीत ... सावन की फुहार की तरह मन को भिगोता हुआ ...

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  12. बहुत ही खूबसूरती से आपने गीत गुनगुनाया .... मनमोहक गीत !

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  13. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण शब्द चित्र....

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  14. एक प्यार सा गीत पढ़वाने के लिए दिल से आभार

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