शुक्रवार, 24 मई 2013

बनो अग्रदूत..... संध्या शर्मा

चाहते हो ???
बगुलों के बीच

नीर-क्षीर विवेकी हंस होना
ग्रहों से परिक्रमित होते
प्रकाशित करते
सौरमन्डल के सूर्य की तरह
प्रतिपल चमकना
तो भेड़ प्रवृत्ति से प्रथक
जनसमूह का बनकर घटक
अनुगंता, अनुकर्ता  नहीं
अग्रदूत बनो
अस्तित्व को नई पहचान दो
आसान न सही
असंभव भी नहीं  
आकाश के अगणित तारों के मध्य
ध्रुवतारा होना....

18 टिप्‍पणियां:

  1. आसान न सही
    असंभव भी नहीं
    आकाश के अगणित तारों के मध्य
    ध्रुवतारा होना....

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,,

    Recent post: जनता सबक सिखायेगी...

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  2. अग्रदूत बनो
    अस्तित्व को नई पहचान दो
    आसान न सही
    असंभव भी नहीं ........bahut badhiya........

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  3. असंभव भी नहीं
    आकाश के अगणित तारों के मध्य
    ध्रुवतारा होना....वाह क्या बात कही..संध्या जी..

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार.

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  5. प्रेरणा देती सुंदर पंक्तियाँ..

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  6. सार्थक संदेश
    बढिया रचना
    बहुत सुंदर

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  7. अग्रदूत बनो
    अस्तित्व को नई पहचान दो
    आसान न सही
    असंभव भी नहीं
    आकाश के अगणित तारों के मध्य
    ध्रुवतारा होना....

    प्रेरक और अनुकरणीय सुप्रभात

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  8. अनुगंता, अनुकर्ता नहीं अग्रदूत बनो,,,,,,,,,,,,,,
    आसान न सही असंभव भी नहीं आकाश के अगणित तारों के मध्य ध्रुवतारा होना,,,,,,,उत्‍कृष्‍ट भावों से संजीवित सुन्‍दर कविता।

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  9. तो भेड़ प्रवृत्ति से प्रथक
    जनसमूह का बनकर घटक
    अनुगंता, अनुकर्ता नहीं
    अग्रदूत बनो ..

    सच कहा है .,.. रौशनी वही दिखा सकते हैं जो अग्रदूत बन सकते हैं ...
    स्वों का होना भी तभी सिद्धकर है ..

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  10. अस्तित्व को नई पहचान दो
    आसान न सही
    असंभव भी नहीं------

    सार्थक बात कही हैं
    बधाई

    आग्रह हैं पढ़े
    तपती गरमी जेठ मास में---


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  11. सही कहा आपने एक अग्रदूत बनो,
    जो सबको सही राह दिखाए
    आसान नहीं तो क्या मुमकिन तो है .....

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  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार.

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