रात काफी हो गई है
कितना वक़्त हो गया
सो जाना था अब तक मुझे
नींद है कि आने का नाम नहीं लेती
कवि हूँ, क्या नहीं कर सकती
कहाँ नहीं जा सकती
मन कहता है कहीं घूम आऊं
कहाँ जाऊं
रात है
गहरी काली रात
और लिख रही हूँ मैं
बिना किसी भय के
अचानक यह आवाज़ कैसी?
शायद ट्रकों के आपस में टकराने की आवाज़
भ्रम नहीं है यह ना कोई सपना
यथार्थ है
पहुँच गया मन मेरा वहां
ओह... कितना भयानक दृश्य
बिखरी हुई लाशें
बहता हुआ गरम खून
भिनभिनाते हुए मच्छर
और कोई भी नहीं
देखना....
कल कुछ नहीं होगा यहाँ
हाँ एक खबर जरुर बन जाएगी
छाप जाएगी अखबारों में
और मैं....
मैं अब भी जागूंगी
इस आह्ट के खौफ़ से........
कितना वक़्त हो गया
सो जाना था अब तक मुझे
नींद है कि आने का नाम नहीं लेती
कवि हूँ, क्या नहीं कर सकती
कहाँ नहीं जा सकती
मन कहता है कहीं घूम आऊं
कहाँ जाऊं
रात है
गहरी काली रात
और लिख रही हूँ मैं
बिना किसी भय के
अचानक यह आवाज़ कैसी?
शायद ट्रकों के आपस में टकराने की आवाज़
भ्रम नहीं है यह ना कोई सपना
यथार्थ है
पहुँच गया मन मेरा वहां
ओह... कितना भयानक दृश्य
बिखरी हुई लाशें
बहता हुआ गरम खून
भिनभिनाते हुए मच्छर
और कोई भी नहीं
देखना....
कल कुछ नहीं होगा यहाँ
हाँ एक खबर जरुर बन जाएगी
छाप जाएगी अखबारों में
और मैं....
मैं अब भी जागूंगी
इस आह्ट के खौफ़ से........
कटु सत्य
जवाब देंहटाएंयही तो जीवन है.....
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति...
सस्नेह.
अनु
(तीसरी पंक्ति में जाना दो बार टाइप हुआ है..)
बहुत सुंदर पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएंमन की दशा का शाब्दिकरण
जवाब देंहटाएंदेखना....
जवाब देंहटाएंकल कुछ नहीं होगा यहाँ
हाँ एक खबर जरुर बन जाएगी
छाप जाएगी अखबारों में
और मैं....
मैं अब भी जागूंगी
इस आह्ट के खौफ़ से........
ज़िन्दगी यूँ ही चलती है पल यूँ ही बितते हैं हम और आप साक्ष्य बन प्रति पल साद साथ होते हैं .
ज़िन्दगी यूँ ही चलती है पल यूँ ही बितते हैं हम और आप साक्ष्य बन प्रति पल सदा साथ होते हैं .
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंसादर.
खौफ सपना बन जाता है ... परिवर्तन का,दर्द का
जवाब देंहटाएंखौफ के साये में संवेदनशील रचना..
जवाब देंहटाएंगहन अहसास की अभिव्यक्ति...
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
गहन अहसास की अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंभावों की सुंदर अभिव्यक्ति | उम्दा रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट में आपका स्वागत है |
जमाना हर कदम पे लेने इम्तिहान बैठा है
सशक्त अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंगहरे अहसास लिए रचना
जवाब देंहटाएंहादसे होते रहते हैं.....लेकिन जीवन तो यूहीं चलता रहता है ...और कोई चारा भी नहीं .....किस किस के दुःख को रोयें ...कितनों की तकलीफें ढोएं ....
जवाब देंहटाएंखौफ तो खौफ है, हर जगह विद्यमान, बहरहाल सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंये हादसे जगह जगह होते हैं ... ये खौफ़ भी बढ़ रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंजीवन में कब कहाँ क्या हो जाये कुछ नहीं पता.....बहुत सुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंहादसा कोई भी हो मन को व्यथित करता ही है और अपने सामने गर्म खून को बिखरे देखना बहुत ही मुश्किल ....उफ़ बेहद मार्मिक
जवाब देंहटाएंकभी कभी जेहन में ऐसे खयाल भी आते हैं ...जैसे कोई खौफनाक हादसा हो
जवाब देंहटाएंसोच कर ही मन काँप गया..
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