बुधवार, 8 अगस्त 2012

माँ... संध्या शर्मा

यह कविता नहीं,  कुछ बाते हैं, जो कहना चाहती हूँ, शायद मैं ठीक से कह भी नहीं सकी... 

मेरी माँ अर्धमूर्छित अवस्था में भी 
हमारी चिंता करती बस यही कहती
बेटा मिलजुलकर रहना
छोटी बहन की शादी करना
भाई के लिए पढ़ी - लिखी दुल्हन लाना
सुन्दरता पर मत जाना
मेरी अंतिम यात्रा की खबर इन-इन को देना
इन्हें सबसे पहले फोन कर देना...
माँ जो पहले हमेशा हमे चिढाती थी कहकर
"हे भगवान ले लो मेरे प्राण" सुनकर
हम नाराज होते वो मुस्कुराती थी
वही डॉक्टर के आगे गिड़गिड़ाती
तीन साल असहनीय पीड़ा झेलती
जीती रही हमारी खातिर
जब कभी दर्द से थक हार जाती
मैं कहती माँ जीना है तुम्हे हमारे लिए
सुनकर जी उठती पर जाने क्या सोचती
फिर आई सन २००० अगस्त माह की ९ तारीख
याद है मुझे वो दर्द भरी कांपती आवाज
"बेटा बहुत दर्द है, अब नहीं सहा जाता
और और आगे नहीं सुना गया .....
उसदिन ईश्वर से हमने की थी प्रार्थना           
"तू अब मत रोने दे मेरी माँ को
बहुत रो चुकी, बहुत सह चुकी
अब हमारी रोने की बारी है"
शायद माँ भी बस इसीलिए रुकी थी
सो गई, मुख पर गहरी मुस्कान लिए
चिरनिद्रा में हमेशा-हमेशा के लिए........

29 टिप्‍पणियां:

  1. भोगे हुए यथार्थ और जीवन के सत्य को बेहतर अभिव्यक्ति मिली है इन शब्दों में और कविता सजीव बन पड़ी है ....!

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  2. शायद माँ भी बस इसीलिए रुकी थी
    सो गई, मुख पर गहरी मुस्कान लिए
    चिरनिद्रा में हमेशा-हमेशा के लिए....

    बहुत सरल है यह कहना चलो मुक्ति मिल गई .किन्तु जीवन भर माँ से फिर न मिलाना बड़ा कठिन

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  3. ग़मगीन करती मार्मिक प्रस्तुति.
    जिनको हम दिल से याद करते हैं
    वे कभी जुदा नही होते,संध्या जी.

    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आकर
    'फालोअर्स और ब्लोगिंग'के सम्बन्ध में मेरा मार्ग दर्शन कीजियेगा,

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  4. उसदिन ईश्वर से हमने की थी प्रार्थना
    "तू अब मत रोने दे मेरी माँ को
    बहुत रो चुकी, बहुत सह चुकी
    अब हमारी रोने की बारी है"
    शायद माँ भी बस इसीलिए रुकी थी
    सो गई, मुख पर गहरी मुस्कान लिए
    चिरनिद्रा में हमेशा-हमेशा के लिए........

    बहुत भावपूर्ण अभिव्‍यक्ति ..

    मृत्‍यु जाने वालों के लिए सुखद है ..

    दुनिया में रहने वाले ही सारी पीडा झेलते रहते हैं ..
    उन्‍हें हार्दिक श्रद्धांजलि !!

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  5. दुखद! विनम्र श्रद्धांजलि!

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  6. मन भारी सा हो गया संध्या जी,आपके मनोभाव महसूस कर सकती हूँ....
    माँ का आशीष बना रहता है सदा...उनके न होने पर भी ...
    श्रद्धा सुमन...
    सस्नेह
    अनु

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  7. कल 10/08/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  8. मन को छू गई यह प्रस्‍तुति ...

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  9. कितनी विवशता से व्यक्ति अपनों के लिए मौत मांगता है ... प्यार का एक यह भी रूप है

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  10. बहुत सुन्दर और गहन है पोस्ट।

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  11. संध्या जी ...अपने सामने किसी अपने को जाते हुए देखना ..कितना दुखद रहता हैं ..ये मैं समझ सकती ....हर शब्द कम हैं कुछ भी कहने को .......नमन उस माँ को ||

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  12. बहुत रो चुकी, बहुत सह चुकी
    अब हमारी रोने की बारी है"
    शायद माँ भी बस इसीलिए रुकी थी
    सो गई, मुख पर गहरी मुस्कान लिए
    चिरनिद्रा में हमेशा-हमेशा के लिए........

    बहुत मार्मिक दिल को छूती प्रस्तुति,,,,,संध्या जी,,,
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..

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  13. मन को भावुक करती रचना, सुन्दर अति सुन्दर

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  14. माँ चली गयी पर मन में तो अब भी बसती है और सदा रहेगी...

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  15. मर्म भाव लिए रचना...
    विनम्र श्रद्धांजलि
    :-)

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  16. माँ का आशीर्वाद हमेशा साथ रहता है ..
    श्रद्धा सुमन !

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  17. "बेटा बहुत दर्द है, अब नहीं सहा जाता
    और और आगे नहीं सुना गया .....
    उसदिन ईश्वर से हमने की थी प्रार्थना
    "तू अब मत रोने दे मेरी माँ को
    बहुत रो चुकी, बहुत सह चुकी
    अब हमारी रोने की बारी है"
    ..उफ़ ऐसे क्षण बहुत कष्टकर होते है जीवन में जब इश्वर से ऐसी विनती करनी पड़ती है ...
    बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति ..
    माता जी को विनम्र श्रद्धांजलि!

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  18. बेहद मार्मिक .......
    माँ को सदर नमन

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  19. हृदयस्पर्शी दिल को छूती प्रस्तुति....संध्या जी विनम्र श्रद्धांजलि

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  20. मुझे समझ में नहीं आ रहा...कि क्या कहूँ...
    ये एक बहुत बड़ी कड़वी सच्चाई है कि हम इतने स्वार्थी हैं कि अपनों का, वो भी माँ-पिता का साया सिर से उठने की सोच भी नहीं पाते...~सच में! दिल भर आया! इसके आगे कुछ कह पाने में असमर्थ हूँ..मुझे क्षमा कीजिएगा !
    ~सादर!!!

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  21. द्रवित करती पंक्तियाँ ,सच की कविता ही तो है.

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  22. आँखें नम कर गई ये पंक्तियाँ ... माँ की बातें ... माँ का साथ कभी नहीं भूलता ...

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  23. सच आँखें नम कर गई ये पंक्तियाँ ... माँ की बातें ... माँ का साथ कभी नहीं भूला जा सकता है .....
    माँ को नमन ... उनकी आत्मा को शांति मिलें .....
    God Bless you

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