आज अचानक असमय सो गई
सोते हुए स्वपन में जाग उठी
उठते ही कविता की कॉपी याद आई
बैचेनी से इधर-उधर ढूँढने लगी
अचानक पाँव तले पानी महसूस हुआ
इतना पानी देखकर समझ गई
मेरी काव्य सरिता में बाढ़ आई
देखते - देखते उसमे डूबने लगी
तैरने के लिए कल्पना की डोर बांधी
विचारों का मज़बूत सहारा लिया
शब्दों के पुल खोजने लगी
उन्ही तरंगो में कल्पना की
सुन्दर सजीली नाव दिखी
उमंगों की एक छलांग में
उस नाव पर सवार हो गई
उसी नाव में दिखे डायरी के पन्ने
कुछ पूरे और कुछ अधगीले
कुछ सीधे कुछ मुड़े-तुड़े से
जल्दी -जल्दी उन्हें समेटने लगी
एक पन्ना हाथ से छूटा उड़ने लगा
अधीरता से उसे संभाला थामा
हाथ आया तो पढने का मन किया
जैसे ही उसे खोलकर देखा
आश्चर्य से आँखे खुल गईं
मैं गहरी नींद से जाग गई
म्रत्यु को साधे जीवन से बांधे
स्वप्न से बाहर यथार्थ की दुनिया में
मुझे ले आये खींचकर मेरे ही शब्द
बताऊँ वहां क्या लिखा था?
"चिरनिद्रा से वापसी"
सोते हुए स्वपन में जाग उठी
उठते ही कविता की कॉपी याद आई
बैचेनी से इधर-उधर ढूँढने लगी
अचानक पाँव तले पानी महसूस हुआ
इतना पानी देखकर समझ गई
मेरी काव्य सरिता में बाढ़ आई
देखते - देखते उसमे डूबने लगी
तैरने के लिए कल्पना की डोर बांधी
विचारों का मज़बूत सहारा लिया
शब्दों के पुल खोजने लगी
उन्ही तरंगो में कल्पना की
सुन्दर सजीली नाव दिखी
उमंगों की एक छलांग में
उस नाव पर सवार हो गई
उसी नाव में दिखे डायरी के पन्ने
कुछ पूरे और कुछ अधगीले
कुछ सीधे कुछ मुड़े-तुड़े से
जल्दी -जल्दी उन्हें समेटने लगी
एक पन्ना हाथ से छूटा उड़ने लगा
अधीरता से उसे संभाला थामा
हाथ आया तो पढने का मन किया
जैसे ही उसे खोलकर देखा
आश्चर्य से आँखे खुल गईं
मैं गहरी नींद से जाग गई
म्रत्यु को साधे जीवन से बांधे
स्वप्न से बाहर यथार्थ की दुनिया में
मुझे ले आये खींचकर मेरे ही शब्द
बताऊँ वहां क्या लिखा था?
"चिरनिद्रा से वापसी"
वाह.......
जवाब देंहटाएंकल्पनाओं के सागर में गोते लगा कर लौटना सुखद लगा......
सस्नेह.
अनु
kalpanaao ki khubsurat bhaavnaaye.....
जवाब देंहटाएंकल्पनाओं के सागर में उमंग भरी सुखद अनुभूति,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
गहन अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंsundar bhavon ko prakat kiya hai .aabhar
जवाब देंहटाएंबढिया, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंम्रत्यु को साधे जीवन से बांधे
जवाब देंहटाएंस्वप्न से बाहर यथार्थ की दुनिया में
मुझे ले आये खींचकर मेरे ही शब्द
बताऊँ वहां क्या लिखा था?
"चिरनिद्रा से वापसी"
खुबसुरत एहसास.
सुखद एहसास।
जवाब देंहटाएंनिःशब्द विम्ब .... अदभुत वापसी
जवाब देंहटाएंवाह: कल्पना का गहन सागर...सुन्दर..
जवाब देंहटाएंचिरनिद्रा से वापसी बहुत सुखद अनुभूति है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..
:-)
वाह .. कल्पनाएं भी कहाँ ले जाती हैं इंसान को ...
जवाब देंहटाएंइस चिरनिंद्रा से जागना भी पूर्ण होना इक रचना का होता है ...
वाह.....बेहद खुबसूरत।
जवाब देंहटाएंसुंदर स्वप्न..और सुंदर चित्रण !
जवाब देंहटाएंस्वप्न व दिवास्वप्न बेहतरीन ही नहीं अद्भुत खुबसूरत
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता |कल्पनाशीलता का बेजोड़ नमूना |आभार
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 23-08 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... मेरी पसंद .
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
आपकी पोस्ट आज 23/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा - 980 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
भावमय करते शब्दों का संगम ... आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...............
जवाब देंहटाएंकल्पना में कवि मन कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है ...सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंये स्वप्नशब्द.... निःशब्द !
बेहतरीन प्रस्तुति !
आभार !
शब्दै मारा गिर पड़ा शब्दै छोड़ा राज
जवाब देंहटाएंजिन जिन शब्द विवेकिया तिनका सरिगौ काज
जब अवचेतन जागता है तो अनोखे लोक की सैर करता है। अद्भुत अनुभव होता है इस सैर का। गुंगे के गुड़ जैसा। शब्दों में बांध पाना कठिन होता है। शब्द ही चिरनिद्रा से जगाते हैं। शब्द ध्वनि सुनना ही चिरनिद्रा से वापसी है। उम्दा बिंबों के साथ सार्थक भावाभिव्यक्ति
बहुत बढ़िया .....
जवाब देंहटाएंकल्पना के सागर में डूबते उतराते ही शब्द चुन कर कलम लिख डालती है कोई कविता बहुत सुन्दर लगी आपकी कल्पना और अंतिम पक्तियां तो लाजबाब हैं
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंस्वप्न से बाहर यथार्थ की दुनिया में
जवाब देंहटाएंमुझे ले आये खींचकर मेरे ही शब्द
बताऊँ वहां क्या लिखा था?
"चिरनिद्रा से वापसी"
....बहुत सुन्दर भावमयी रचना...
इतनी खूबसूरत कल्पना ....अधूरे ख्याब अधूरे से शब्द ..इस आशा के साथ कि कोई दिन तो होगा जब ये पूर्ण होंगे ...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रशंसनीय कविता। मेरे ब्लॉग " प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंकविता के भाव में गहनता झलक रही है।
जवाब देंहटाएंवाह.... भई वाह
जवाब देंहटाएंकाव्य सरिता हमें भी बहा ले गयी..
जवाब देंहटाएं