सोमवार, 11 अप्रैल 2011

क्रांति सूर्य उदय होगा...संध्या शर्मा


राख में दबी चिंगारी सुलग उठी,
ये मूक मूरतें पत्थर की,
लो जाग गई और बोल उठीं,
जब जनाक्रोश भड़कता है,
सिंहासन डोलने लगते हैं,
सरकार कांपने लगती है,
और ताज हवा में उड़ता है,
जिस और मोड़ना चाहता है,
ये काल उधर ही मुड़ता है,
विराट जनतंत्र गरज रहा,
इन्कलाब गगन में गूंज रहा,
जन-जन के शीश पर मुकुट धरो,
कोटि सिंहासन निर्माण करो,
अभिषेक प्रजा का जब होगा,
जो हुआ कभी न अब होगा..
और क्रांति सूर्य उदय होगा....!   

25 टिप्‍पणियां:

  1. कोटि सिंहासन निर्माण करो,
    अभिषेक प्रजा का जब होगा,
    जो हुआ कभी न अब होगा..
    और क्रांति सूर्य उदय होगा....!


    सुंदर सकारात्मक ....ओजपूर्ण पंक्तियाँ....बहुत बढ़िया

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  2. जब जनाक्रोश भड़कता है,
    सिंहासन डोलने लगते हैं,....
    जो हुआ कभी न अब होगा..
    और क्रांति सूर्य उदय होगा....!
    सही कहा आपने! आज के परीपेक्ष्य में उचित कविता !!

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  3. राख में दबी चिंगारी सुलग उठी,
    ये मूक मूरतें पत्थर की,
    लो जाग गई और बोल उठीं,
    जब जनाक्रोश भड़कता है,
    सिंहासन डोलने लगते हैं,
    बहुत ही सुंदर कविता संध्या जी बधाई

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  4. 'क्रांति सूर्य उदय होगा '
    ******************
    राष्ट्र कवि दिनकर के भावों को बल देती .....समर्थ ओज रचना

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  5. ये काल उधर ही मुड़ता है,
    विराट जनतंत्र गरज रहा,
    इन्कलाब गगन में गूंज रहा,
    जन-जन के शीश पर मुकुट धरो
    ......सुंदर सकारात्मक सार्थक और भावप्रवण रचना।

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  6. दुर्गाष्टमी और रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  7. आक्रोश के संग भावी संकेत देती हुई रचना।

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  8. जब जनाक्रोश भड़कता है,
    सिंहासन डोलने लगते हैं,
    सरकार कांपने लगती है,
    और ताज हवा में उड़ता है,

    बेहतरीन,शानदार,उत्साह वर्धन करती आपकी अभिव्यक्ति के लिए
    बहुत बहुत आभार.आपकी रचना में जोश के साथ अच्छा सोच भी है.

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  9. मन को कहीं
    भीतर तक आंदोलित करतीं
    ओजपूर्ण पंक्तियाँ ...

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  10. बहुत ही प्रेरक और देश के लिये कुछ करने की प्रेरणा ऊर्जा देती रचना के लिये बधाई सच मे ही जनाक्रोश अब सर उठाने लगा है क्राँति जरूर आयेगी। शुभकामनायें।

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  11. sundar veer Ras se bhari yah post kal charchamanch par hogi... Aap Charchamanch par aa kar apne vicharon se anugrahit karen ..Sadar
    http://charchamanch.blogspot.com

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  12. जिस और मोड़ना चाहता है,
    ये काल उधर ही मुड़ता है,

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
    संध्याजी,बहुत ही खूब लिखा है आपने

    जन-जन के शीश पर मुकुट धरो,
    कोटि सिंहासन निर्माण करो,
    अभिषेक प्रजा का जब होगा,
    जो हुआ कभी न अब होगा..

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  13. जब जनाक्रोश भड़कता है,
    सिंहासन डोलने लगते हैं,
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
    यह एक सच्चाई है कि जनाक्रोश किसी भी सत्ता को उखाड़ फैंकने कि ताकत रखता है ...!

    जिस और मोड़ना चाहता है,
    ये काल उधर ही मुड़ता है,
    xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

    इस पर किसी का वश नहीं लेकिन मानव फिर भी अपनी बुद्धि के बल पर इसे जितने कि कोशिश करता है ...लेकिन सफलता उससे अभी भी कोसों दूर है ...आपकी कविता वीर रस का संचार करती हुई ओज गुण की सृजना करती है ...आपका आभार

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  14. बहुत ओज पूर्ण रचना ...सूर्य को उदय होना ही है

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  15. sunder rachna ...
    kranti ka intazar hai ....
    aise hi jan jan manas me-
    kranti ki chingari sulgana hai ....

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  16. सुंदर रचना।
    उम्‍मीद कि वह दिन कभी तो आएगा।
    आपकी उम्‍मीदों को सलाम।

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  17. जन-जन के शीश पर मुकुट धरो,
    कोटि सिंहासन निर्माण करो,
    अभिषेक प्रजा का जब होगा,
    जो हुआ कभी न अब होगा..
    और क्रांति सूर्य उदय होगा....!



    सारगर्भित रचना के लिए आभार।

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  18. जाट देवता की भी राम-राम।
    अन्ना हजारे के आने से आपकी बात सच हो रही है।

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  19. Dik me kranti ki alakh jgaati ek gajab rachna. . . . . . . . . . . . . Jai hind jai bharat

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