शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

"POORA SWAPNA TERA HO"

"पूरा स्वप्न तेरा हो"
मेरी गोद से उतरकर अब तू ,
इस धरती पर चलना सीख.
कठिन सही ये राह मगर तू,
गिरकर भी संभलना सीख.
चाँद सितारों की चाहत में,
रूठना और मचलना सीख.
सागर सी शांति धरकर भी,
गर्भ में मोती पालना सीख.
चन्द्र सी दे शीतलता पर,
सूर्य की भांति जलना सीख.
"तपकर इस जीवन पथ पर,
सोना तू खरा हो,
आशीर्वाद है मेरा तुझको,
तू अपने पांव खड़ा हो,
पूरा स्वपन तेरा हो... 
पूरा स्वपन तेरा हो...  


  

24 टिप्‍पणियां:

  1. ममता के भाव से परिपूर्ण बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  2. अहसासों का बहुत अच्छा संयोजन है ॰॰॰॰॰॰ दिल को छूती हैं पंक्तियां ॰॰॰॰ आपकी रचना की तारीफ को शब्दों के धागों में पिरोना मेरे लिये संभव नहीं

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  3. आदरणीय संध्या जी
    नमस्कार !
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  4. पूरा स्वप्न तेरा हो.
    बहुत अच्छी प्रस्तुति...

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  5. चन्द्र सी शीतलता पर
    सूर्य की भान्ति जलना सीख \
    एक बेटी के लिये बहुत सुन्दर सार्थक सीख है। सन्ध्या जी कविता दिल को छू गयी। बधाई।

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  6. कैलाश शर्मा जी, संजय भास्करजी, सुशिल बाकलीवाल जी, निर्मला कपिलाजी आप सबकी ह्रदय से आभारी हूँ , आपने मुझे प्रोत्साहित किया ...यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहना ताकि और भी प्रगति कर पाऊं ....आप सबका धन्यवाद ..निर्मला कपिलाजी आपको मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद यूँ ही साथ रहिएगा....संजयजी आपने हमेशा मेरा उत्साहवर्धन किया है, और हमेशा ऐसी ही उम्मीद रखती हूँ...बहुत - बहुत धन्यवाद आपका..

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  7. ममता के भाव से परिपूर्ण बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| बहुत धन्यवाद|

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  8. एक माँ का बहुत अच्छा आशीर्वाद है यह कविता.

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  9. Maa ki mamata ki bhawmayi rashmiyan prasfutit ho rahi hain aapki kavita se.
    Man ki gahrai se likhi hui sunder kavita.

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  10. ममता के भाव से परिपूर्ण..... सुन्दर रचना

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  11. माँ की ममता
    और आशीर्वाद स भरपूर
    बहुत प्रभावशाली रचना ...

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  12. @ PATALI THE VILLAGE , विजय माथुर जी, ज्ञानचंद्र मर्मज्ञ जी, मोनिका शर्मा जी, सुनील कुमार जी , संजय भास्कर जी, DAANISH जी..
    आप सबकी ह्रदय से आभारी हूँ , आपने मुझे प्रोत्साहित किया ..बहुत - बहुत धन्यवाद आप सबका ... निलेश माथुर जी मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद

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  13. गणतंत्र-दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएँ........

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  14. माँ के ममत्व के साथ बेटे को ज़रूरी सीख देती सुन्दर पोस्ट..

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  15. "तपकर इस जीवन पथ पर,
    सोना तू खरा हो,
    आशीर्वाद है मेरा तुझको,
    तू अपने पांव खड़ा हो,"

    माँ के आशीष की निर्मल फुहार - बधाई

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  16. बहुत खुबसूरत रचना !

    गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाई !

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  17. बहुत सुन्दर है रचना आप का
    बहुत अच्छा लगा

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  18. कुंवर कुसुमेश जी, राकेश कौशिक जी, मिनाक्षी पन्त जी एवं दीप जी
    आप सभी के इन अमूल्य कमेंट्स के लिए बहुत - बहुत शुक्रिया .

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  19. सागर सी शांति धरकर भी,
    गर्भ में मोती पालना सीख.
    चन्द्र सी दे शीतलता पर,
    सूर्य की भांति जलना सीख.

    जीवन दर्शन और जीवन प्रेरणा से भरपूर आपकी यह कविता निश्चित रूप से सार्थक सन्देश देने में सफल है ....शुक्रिया आपका

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  20. पढ़कर ऐसा लगा, जैसे कोई ममता से पौधे को सींच रहा हो । बहुत ही सुन्दर रचना ।

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  21. ...दिल को छू लेने वाली कविता के लिए बधाई स्वीकार करें। साथ ही ..
    जब आप को हिंदी लिखने आती है तो सभी कविताओं के शीर्षक में आंग्ल भाषा के अक्षर का लाभ बतायें ?

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  22. आप सबकी ह्रदय से आभारी हूँ ....आपकी प्रेरणादायक प्रतिक्रियाएं जीवन में उत्साह और आशा का संचार करती हैं ...धन्यवाद
    देवेन्द्र पण्डे जी आगे से आपकी बात पर जरूर अमल करूंगी...बहुत - बहुत शुक्रिया.

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