तुम्हारे पास
अर्थ हैं जितने
मेरे पास
शब्द न उतने
बड़े मीठे है
तुम्हारे...
गीत अनसुने
बहुत सच्ची है
तुम्हारी...
कहानी अनसुनी
हर बात कहती हैं
मुझसे...
ये आँखें अनकही
अहसास झरने सा
तुम्हारी...
पावन हँसी
संवार दो अलक
हौले से...
मेरे माथे पर पड़ी
ठीक से आती नहीं
मुझ तक...
तुम्हारे चेहरे की चाँदनी
बहुत मीठी सी कविता..प्रीत से पगी..
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30-06-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2389 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
प्यारी कविता
जवाब देंहटाएंसुंदर।
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