संध्या वेला
जीवन की
हिसाब लगाया
कितना कमाया
क्या गंवाया
कमाया...?
धन, ऐश्वर्य, मान
गंवाया ...?
स्नेह - सुख,
अपनों का साथ
आयु घटी
बढ़ा धन
अपने हुए दूर
हाथ लगे
बस चार क्षण
दुःख मनाऊँ, अभिमान करूँ
या स्नेह दूँ, सुख दूँ उन्हें
जो कबके आगे निकल गए
मुझे अकेला छोड़ किनारे
जीवन की
हिसाब लगाया
कितना कमाया
क्या गंवाया
कमाया...?
धन, ऐश्वर्य, मान
गंवाया ...?
स्नेह - सुख,
अपनों का साथ
आयु घटी
बढ़ा धन
अपने हुए दूर
हाथ लगे
बस चार क्षण
दुःख मनाऊँ, अभिमान करूँ
या स्नेह दूँ, सुख दूँ उन्हें
जो कबके आगे निकल गए
मुझे अकेला छोड़ किनारे
नफे घाटे का हिसाब जोड़ते ....
मन में आस है
दूर तलक जाने का
विश्वास है
चार पल ही सही
जीवन है यही
कोई न हो न सही
निस्संग हूँ
नहीं हूँ एकाकी
मेरा मन
मेरा साथी...
मन में आस है
दूर तलक जाने का
विश्वास है
चार पल ही सही
जीवन है यही
कोई न हो न सही
निस्संग हूँ
नहीं हूँ एकाकी
मेरा मन
मेरा साथी...