सही बात ...... कब तक ?
"एक बची खुची सी सिद्धांत विहीन दीवार" तोड़ने की उम्दा कोशिश. पढकर अच्छा लगा.-अभिजित (Reflections)
कब तक सहोगेअन्याय - अत्याचारस्वाभिमान पर प्रहारप्रतीक्षा कैसी??? बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,RECENT POST: दीदार होता है,
तुम गंगा की जलधारक्यों न तोड़ दो???.......सही बात बेहतरीन शब्द चयन और बहुत ही सशक्त भावाभिव्यक्ति
अन्याय सहना आखिर कब तक ??! सुंदर प्रस्तुति .
सुंदर अभिव्यक्ति ..प्रतीक्षा मेंही बीतता जा रहा है समय !!
तुम गंगा की जलधारक्यों न तोड़ दो???ये सवाल हर मन को झकझोर रहा .... बेहद सार्थक
अब धैर्य बांध टूट ही जाना चाहिए।
एक सत्य का समाधान खोजती पोस्ट
जरुरत है ऐसी ललकार की..
अब धैर्य का बाँध टूट रहा है .. सार्थक प्रस्तुति .
कब तक सहोगे अन्याय - अत्याचारस्वाभिमान पर प्रहारप्रतीक्षा कैसी??? अन्याय का विरोध करने के लिये इन्तेज़ार करने की आवश्यकता नहीं. सार्थक सन्देश.
वह दिन शीघ्र आएगा संध्या जी ..मंगल कामनाएं आपके लिए !
सामयिक एवं ओजस.
समय देख कर तो लगता है ये धैर्य का बाँध जल्द ही धाराशायी होकर एक नयी पहल की शुरुआत करेगा
बस इंतज़ार तो उसी का है ... पता नहीं कब टूटने वाला है ये बाँध ...
बहुत सुंदर रचनाक्या कहने
sabhi ke liye prerana
जब हर घर से एक शहीद होने के लिए आगे आयेगा जैसे पञ्च प्यारे आगे आया थे.और वो होगा संध्या जी ! डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति कोlatest post'वनफूल'
सशक्त रचना
सुन्दर शब्द चयन और रचना |आशा
बदलाव कब होगा ? कोई नहीं जानता ....
सुंदर रचना .....
bahut badhiya .....tutna jaruri hai .,,,,
hook ko lalkaar banne mein deri kaisi...bahut sundar..sandhya ji !
सही बात ...... कब तक ?
जवाब देंहटाएं"एक बची खुची सी सिद्धांत विहीन दीवार" तोड़ने की उम्दा कोशिश. पढकर अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएं-अभिजित (Reflections)
कब तक सहोगे
जवाब देंहटाएंअन्याय - अत्याचार
स्वाभिमान पर प्रहार
प्रतीक्षा कैसी???
बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,
RECENT POST: दीदार होता है,
तुम गंगा की जलधार
जवाब देंहटाएंक्यों न तोड़ दो???
.......सही बात बेहतरीन शब्द चयन और बहुत ही सशक्त भावाभिव्यक्ति
अन्याय सहना आखिर कब तक ??! सुंदर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षा मेंही बीतता जा रहा है समय !!
तुम गंगा की जलधार
जवाब देंहटाएंक्यों न तोड़ दो???
ये सवाल हर मन को झकझोर रहा .... बेहद सार्थक
अब धैर्य बांध टूट ही जाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंएक सत्य का समाधान खोजती पोस्ट
जवाब देंहटाएंजरुरत है ऐसी ललकार की..
जवाब देंहटाएंअब धैर्य का बाँध टूट रहा है .. सार्थक प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंकब तक सहोगे
जवाब देंहटाएंअन्याय - अत्याचार
स्वाभिमान पर प्रहार
प्रतीक्षा कैसी???
अन्याय का विरोध करने के लिये इन्तेज़ार करने की आवश्यकता नहीं.
सार्थक सन्देश.
वह दिन शीघ्र आएगा संध्या जी ..
जवाब देंहटाएंमंगल कामनाएं आपके लिए !
सामयिक एवं ओजस.
जवाब देंहटाएंसमय देख कर तो लगता है ये धैर्य का बाँध जल्द ही धाराशायी होकर एक नयी पहल की शुरुआत करेगा
जवाब देंहटाएंबस इंतज़ार तो उसी का है ... पता नहीं कब टूटने वाला है ये बाँध ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
sabhi ke liye prerana
जवाब देंहटाएंजब हर घर से एक शहीद होने के लिए आगे आयेगा जैसे पञ्च प्यारे आगे आया थे.और वो होगा संध्या जी !
जवाब देंहटाएंडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द चयन और रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
बदलाव कब होगा ? कोई नहीं जानता ....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना .....
जवाब देंहटाएंbahut badhiya .....tutna jaruri hai .,,,,
जवाब देंहटाएंhook ko lalkaar banne mein deri kaisi...bahut sundar..sandhya ji !
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