‘सपने’ सिर्फ़ कहानी नही, यह तो एक... सफ़र है – ज़िंदगी का सफ़र। जहाँ आँखें सपने देखती हैं, उनमे से कुछ पूरे होते हैं तो कुछ अधूरे रह जाते हैं।
जैसे सपनों के पूरे होने पर ज़िन्दगी चलती रहती है, वैसे ही उनके टूटने पर थमती नहीं। वक़्त और परिस्थितियां इस अधूरेपन के साथ जीना सिखा देती हैं, लेकिन ज़िंदगी चलती रहती है....
कहते हैं जब हम सपना ही नहीं देखेंगे तो उन्हें पूरा कैसे करेंगे। हम जब तक जीवित हैं सपने देखते रहते हैं। उम्र के हर पड़ाव और परिस्थियों के साथ बदलते सपने।
ब्लॉगरों के ऐसे ही अधूरे सपनों की कसक को रेखा श्रीवातव दी ने संजोकर एक पुस्तक का रूप दिया है, जो अत्यंत ही श्रमसाध्य कार्य था।
एक मार्च को इस पुस्तक का विमोचन किया जाना है, तो दिल्ली में जमावड़ा होगा देश के जाने - माने हिंदी ब्लॉगरों का। विमोचन के बहाने ब्लॉगर मिलन इस कार्यक्रम की शोभा में चार चाँद लगा देगा।
हिंदी ब्लॉगिंग की बगिया पुनः हरी भरी हो, इसे नई दिशा और दशा प्राप्त हो। इसी आशा और विश्वास के साथ कार्यक्रम की सफलता हेतु रेखा दी व पुस्तक के सभी लेखकों व पूरी सम्पादकीय टीम को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें ...
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 29 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(०१ -0३-२०२०) को 'अधूरे सपनों की कसक' (चर्चाअंक -३६२७) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
बहुत सुखद समाचार सन्ध्या जी । इस मिलन के जीवंत लेख का इंतज़ार रहेगा । 👌👌🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पहल हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय प्रयास है ब्लागिंग के क्षेत्र में
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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