ओ गौरैया !
अब लौट आओ
बदल गया है इंसान
प्रकृति प्रेमी हो गया है
आकर देखो तो ज़रा
इसके कमरे की दीवारें
भरी पड़ी है तुम्हारे चित्र से
ऐसे चित्र
जिनमें तुम हो,
तुम्हारा नीड़ है,
तुम्हारे बच्चे है
सीख ली है इसने
तुम्हारी नाराज़गी से
सर आँखों पर बिठाएगा
तिनका- तिनका संभालेगा
अब लौट आओ
बदल गया है इंसान
प्रकृति प्रेमी हो गया है
आकर देखो तो ज़रा
इसके कमरे की दीवारें
भरी पड़ी है तुम्हारे चित्र से
ऐसे चित्र
जिनमें तुम हो,
तुम्हारा नीड़ है,
तुम्हारे बच्चे है
सीख ली है इसने
तुम्हारी नाराज़गी से
सर आँखों पर बिठाएगा
तिनका- तिनका संभालेगा
ओ गौरैया !
आ भी जाओ
तुम्हे मिलेगा
तुम्हारे सपनों का संसार !
और तुम
यह सब देखकर
पहले की तरह
खुश हो पाओगी
आँगन - आँगन चहकोगी
बाहर-भीतर भागोगी
तो फुदको आकर
मुँडेर - मुँडेर
बना लो न!
हमारे घर को
तुम्हारा भी घर....
आ भी जाओ
तुम्हे मिलेगा
तुम्हारे सपनों का संसार !
और तुम
यह सब देखकर
पहले की तरह
खुश हो पाओगी
आँगन - आँगन चहकोगी
बाहर-भीतर भागोगी
तो फुदको आकर
मुँडेर - मुँडेर
बना लो न!
हमारे घर को
तुम्हारा भी घर....
बहुत प्रभावपूर्ण रचना......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपके विचारों का इन्तज़ार.....
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन माखन लाल चतुर्वेदी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण रचना..नन्ही चिड़िया को स्नेह भरा आमन्त्रण देती हुई..
जवाब देंहटाएंदिनांक 06/04/2017 को...
जवाब देंहटाएंआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
आप की प्रतीक्षा रहेगी...
अतिसुन्दर!
जवाब देंहटाएंइंसान के आचरण और दिखावे पे गहरा आघात करती बहुत ही प्रभावी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई ...
सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंSundar Poems
जवाब देंहटाएंself publishing India
बहुत सुंदर तरीके से आमंत्रण गोरैया को
जवाब देंहटाएंबहुत - बढ़िया व सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंमै अपने घर के आँगन में गौरेया के लिए पानी की छोटी मटकी और चावल के टुकड़े देता हु.........