देख सकती हैं
नन्ही सी आँखे भी
सपने बड़े - बड़े.
छिपा सकेगा सूरज को
बादल भी
आखिर कब तक...?
अपनों से युद्ध है
लड़ना होगा
अर्जुन की तरह.
सर्वव्याप्त है
सर्वव्यापक है
ईश्वर और भ्रष्टाचार.
है पर कहाँ है...?
लोकतंत्र में
लोकहित.
आसमान नहीं
किसी का दिल छू सको
तो जाने....
नन्ही सी आँखे भी
सपने बड़े - बड़े.
छिपा सकेगा सूरज को
बादल भी
आखिर कब तक...?
अपनों से युद्ध है
लड़ना होगा
अर्जुन की तरह.
सर्वव्याप्त है
सर्वव्यापक है
ईश्वर और भ्रष्टाचार.
है पर कहाँ है...?
लोकतंत्र में
लोकहित.
आसमान नहीं
किसी का दिल छू सको
तो जाने....