पेज

गुरुवार, 25 अगस्त 2011

नया सवेरा आयेगा..... संध्या शर्मा

आज अपनी आँखों के सामने,
भ्रष्टाचार को मिटते देखा,
ईमानदारी को जागते देखा,
लगा इंसानियत जाग रही है,
क्रांति रंग ला रही है,
एक ट्रेफिक पुलिस जो रोज लोगों से,
चालान के बदले रिश्वत लेता था,
उसका दिल भी क्रांति से भर आया था,
आज वह रिश्वत लेकर जेब नहीं भर रहा है,
सिर्फ चालान ही बना रहा है,
पर लगता है, ये भी सबको नहीं भाया था,
उसकी इस अदा ने सबको भरमाया था,
कुछ तो खुश होते दिखे,
पर कुछ फुसफुसाने लगे...
इससे तो यह पहले ही अच्छा था,
सौ पचास से काम चला देता था,
इसकी तो ईमानदारी जाग गई,
और हमारी शामत आ गई...
बताइए अब बेचारा क्या करे,
किसे खुश रखे और किसे नाराज़ करे...?
समस्या यह देश की सही पहले तो हमारी है,
शायद हमने ही फैलाई ये बीमारी है,
"इस लड़ाई को हमें स्वयं से भी लड़ना होगा,
"भ्रष्टाचार निर्मूलन" का आरंभ, अपने आप से ही करना होगा,
देखते ही देखते ये बादल सा छंट जायेगा,
सुनहरा भविष्य, नई रौशनी, नया सवेरा आयेगा..... "          
 

22 टिप्‍पणियां:

  1. वाह
    देखते ही देखते ये बादल सा छंट जायेगा,
    सुनहरा भविष्य, नई रौशनी, नया सवेरा आयेगा....

    जवाब देंहटाएं
  2. देश के कार्य में अति व्यस्त होने के कारण एक लम्बे अंतराल के बाद आप के ब्लाग पे आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
    "इस लड़ाई को हमें स्वयं से भी लड़ना होगा,
    "भ्रष्टाचार निर्मूलन" का आरंभ, अपने आप से ही करना होगा,
    देखते ही देखते ये बादल सा छंट जायेगा,
    सुनहरा भविष्य, नई रौशनी, नया सवेरा आयेगा....

    सत्य को स्वीकार करने में हमें कोई संकोच नहीं होना चाहिए
    एक सुन्दर भाव प्रधान रचना के लिए आपको बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. देखते ही देखते ये बादल सा छंट जायेगा,
    सुनहरा भविष्य, नई रौशनी, नया सवेरा आयेगा..... "

    @काश ऐसा ही हो जाये |

    way4host

    जवाब देंहटाएं
  4. इस लड़ाई को हमें स्वयं से भी लड़ना होगा,
    "भ्रष्टाचार निर्मूलन" का आरंभ, अपने आप से ही करना होगा,

    सही कहा है आपने जब तक हम नहीं सुधरेंगे तब तक किसी सुधार की कल्पना नहीं की जा सकती .....प्रेरक और आशावादी विचारों से भरी रचना आपका आभार ....!

    जवाब देंहटाएं
  5. युग बदलना है तो हम सबको बदलना ही होगा ...
    कविता की आशाएं फलीभूत हों , आज के निराशावादी दौर में आस की यह जोत जलाये रखना बहुत अवशयक है !
    शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर भाव प्रधान रचना, शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  7. "इस लड़ाई को हमें स्वयं से भी लड़ना होगा,
    "भ्रष्टाचार निर्मूलन" का आरंभ, अपने आप से ही करना होगा,

    Bahut Badhiya.....Sunder Rachna

    जवाब देंहटाएं
  8. सबसे पहले स्वयं को बदलना होगा ... अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत शानदार ढंग से आपने अपनी बात को प्रस्तुत किया है.
    अच्छी सीख देती आपकी इस पोस्ट को हृदय से आभार.

    आपके ब्लॉग पर देरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    भक्ति व शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रस्तुत करके
    अनुग्रहित कीजियेगा मुझे.

    जवाब देंहटाएं
  10. देखते ही देखते ये बादल सा छंट जायेगा,
    सुनहरा भविष्य, नई रौशनी, नया सवेरा आयेगा..... " बहुत सुन्दर प्रस्तुति....आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर अभिव्यक्ति.शुभकामनायें .

    जवाब देंहटाएं
  12. सच ऐ क़ानून के साथ साथ अपने अंदर इमानदारी भी लानी होगी .. रवैया बदलना होगा ..

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  14. मौजूदा दौर का चित्रण करती रचना।
    सही कहा आपने।
    शुरूआत अपने आप से होनी च‍ाहिए।
    हम जब सुधर जाएंगे, सब अच्‍छा होने लगेगा।
    थोडा वक्‍त लगेगा.... पर सब बेहतर होगा.....

    जवाब देंहटाएं
  15. समस्या की जड, हमारे स्वयम के अंदर व्याप्त पाखंड, सुविधानुसार सत्य व नियम की व्याख्या भ्रष्टाचार के मूल कारणों में से एक है ।

    जवाब देंहटाएं
  16. संध्या शर्मा जी,
    नमस्कार,
    आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  18. A beautiful poem and a more beautiful thought...I hope we will try to make our country a corruption free country...

    जवाब देंहटाएं