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बुधवार, 10 अगस्त 2011

तू जरूर आना... संध्या शर्मा

बचपन में कहती थी,
चंदा है वीर मेरा,
नहीं समझती थी तब...
चाँद दिखता तो रोज है,
पर होता दूर है,
अब समझती हूँ...
कोई पास होकर भी दूर कैसे होता है,
तू तो दूर होकर भी पास होता है,
तू कभी इस चाँद सा मत होना,
जैसा है, हमेशा वैसा ही रहना,
हर साल की तरह राह देखेगी तेरी बहना,
वो आये न आये तू जरूर आना...

24 टिप्‍पणियां:

  1. दिल की गहराई में उतरी रचना....
    बहुत सुन्दर है...

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  2. बहुत सुंदर भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना॥

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  3. भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना

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  4. बहुत खूबसूरत अंदाज बधाई !!
    मेरा आपसे निवेदन है कि 16 अगस्त से आप एक हफ्ता देश के नाम करें, अन्ना के आमरण अनशन के शुरू होने के साथ ही आप भी अनशन करें, सड़कों पर उतरें। अपने घर के सामने बैठ जाइए या फिर किसी चौराहे या पार्क में तिरंगा लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाइए। इस बार चूके तो फिर पता नहीं कि यह मौका दोबारा कब आए।

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  5. बेहतरीन भाव युक्त सुंदर कविता
    आभार

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  6. सुंदर भावपूर्ण रचना. सच ही है चन्दा से तुलना तो कर देते है पर उसके जैसे दूरी कैसे सहन हो.

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  7. Haan Mummy.. Mama har saal ayenge,
    Kabhi na bhi aa paye to main unhe utha launga :)

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  8. राखी भाई बहन के अटूट प्यार का प्रतीक है! आपने इस पवित्र पर्व को बहुत खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है! राखी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  9. ...कितनी कोमल ,प्यारे अहसासों को समेटे है ये रचना ..

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  10. रक्षा-बंधन और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई.....!

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  11. रक्षाबंधन पर आपकी कविता बहुत सटीक और सामयिक है.

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  12. रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.

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  13. बहुत खुब। राखी की शुभकामनाएॅ।

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  14. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ... राखी का पर्व मिलन का पर्व भी तो होता है ... बहुत बहुत शुभकामनाएं ...

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