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मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

"अंजोरिया".... संध्या शर्मा


अंधियारे में ज्योत जगाता 
आया दीप जलाने वाला
 मुरझाये जीवन में हमने 
पाया फूल खिलाने वाला

विरहा के पल-पल से उपजा
मधुर मिलन का बीज निराला 
 क्षितिज ओर से नीलगगन पर
फैला बनकर नया उजाला

अधरों से सुधा रस बरसा
नैनो से झलके मधुशाला
 झूम उठी हर डाली-डाली
पागल हुआ मन मतवाला

गीत ग़ज़ल में झलक उसकी
वह अक्षर की मोती माला
उर की हर धड़कन में गूंजे
राग सरगमिया यादों वाला

भाग्य लिखित जो भी होगा
पाएगा दुनिया में पाने वाला
बस एक नाम ही रह जाएगा
दुनिया का है खेल निराला

21 टिप्‍पणियां:

  1. बस एक नाम ही रह जाएगा
    दुनिया का है खेल निराला

    बहुत सही कहा आपने।


    सादर

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  2. वाह..............

    बहुत सुंदर....मनभावन रचना....

    अनु

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  3. भाग्य लिखित जो भी होगा
    पाएगा दुनिया में पाने वाला
    बस एक नाम ही रह जाएगा
    दुनिया का है खेल निराला

    Bahut Sunder

    जवाब देंहटाएं
  4. भाग्य लिखित जो भी होगा
    पाएगा दुनिया में पाने वाला
    बस एक नाम ही रह जाएगा
    दुनिया का है खेल निराला

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना के लिए बधाई,...संध्या जी

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  5. वाह बहुत ही खुबसूरत लगी पोस्ट।

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  6. विरहा के पल-पल से उपजा
    मधुर मिलन का बीज निराला
    क्षितिज ओर से नीलगगन पर
    फैला बनकर नया उजाला
    बहुत कोमल भाव और सुंदर शब्दों से पिरोयी रचना !

    जवाब देंहटाएं
  7. भाग्य लिखित जो भी होगा
    पाएगा दुनिया में पाने वाला
    बस एक नाम ही रह जाएगा
    दुनिया का है खेल निराला... बहुत सही

    जवाब देंहटाएं
  8. गीत ग़ज़ल में झलक उसकी
    वह अक्षर की मोती माला
    उर की हर धड़कन में गूंजे
    राग सरगमिया यादों वाला
    बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  9. भाग्य लिखित जो भी होगा
    पाएगा दुनिया में पाने वाला
    बस एक नाम ही रह जाएगा
    दुनिया का है खेल निराला ...

    लाजवाब और निराली कविता है ... दुनिया के ये निराले खेल तो चलते रहेंगे ...

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  10. दुनिया का है खेल निराला
    सही कहा आपने....... सच्ची बातें कितनी सहजता से कविता के माध्यम से कह दी आपने संध्या जी
    ....बेहतरीन रचना

    संजय भास्कर

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  11. सही लिखा है आपने की दुनिया एक मंच ही तो है जहाँ निराले खेल अपनी सार्थकता को सिद्ध करने की कोशिश करते रहते हैं ।

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  12. वाह ... भावमय करती अभिव्‍यक्ति ।

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  13. दुनिया का है खेल निराला

    बहुत खूब....
    शुभकामनायें आपको !

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  14. विरहा के पल-पल से उपजा
    मधुर मिलन का बीज निराला
    क्षितिज ओर से नीलगगन पर
    फैला बनकर नया उजाला
    bahut hi sndar aur prabhavshali rachana ..abhar .

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  15. जीवन का खेल निराला... सुन्दर अभिव्यक्ति.

    आभार..

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  16. भाग्य लिखित जो भी होगा
    पाएगा दुनिया में पाने वाला
    बस एक नाम ही रह जाएगा
    दुनिया का है खेल निराला

    ...बहुत सच कहा है...बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रवाहमयी रचना....

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  17. वाह! बहुत ही खूबसूरत रचना...
    वाकई बहुत अच्छी लगी...

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  18. अंधकार मिटाने मशाल ले चल पड़े
    थोड़े बहुत ही नही हौसले है बड़े बड़े
    रोशनी भेजने का दावा जो करते रहे
    देखते रह गए वे यूं सिर्फ़ खड़े खड़े

    सुंदर भाव है कविता के और शिल्प भी…… आभार

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