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सोमवार, 9 अप्रैल 2012

चिताबद्ध होने से पहले..... संध्या शर्मा

इस मशीनी युग में
आविष्कार किये
विकास किये
सभ्यता रची  
सत्य है...
भ्रष्टाचार, आतंकवाद
कट्टरवाद, पाशविकता बढ़ी
बन बैठा स्वयंबैरी
भूल गया तत्व ज्ञान
लोटता रहा
स्वार्थ के कीचड में
बढ़ता रहा
पतन की ओर  
ग्रास बना
अज्ञान असुर के विषदंत का
अब जाग जरा.....
कर वध
अज्ञान असुर का
उठा ज्ञान सुदर्शन
समझ जरा
जब धरा एक
प्राण एक
एक है परमात्मा
फिर जात-पात
धर्म संप्रदाय
अलग क्यों हैं...?
बेकसूरों के खून से लिखे
लाल रंग के इतिहास में
खोज अपना धर्म
बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
क्यों है लाल...?
एक प्रश्न है तुझसे
चिताबद्ध होने से पहले.....
     

28 टिप्‍पणियां:

  1. असंभव है इस प्रश्न का उत्तर मिल पाना..........

    हमने विकास किया है मगर सभ्य नहीं है....


    सार्थक रचना संध्या जी.
    बधाई.

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  2. इस प्रश्न का उत्तर सहज नहीं है मिल पाना ....लेकिन अगर हम मानवीय गुणों के बारे में सोचते हैं और उन्हें जीवन में धारण करते हैं तो निश्चित रूप से हम इस प्रश्न का हल पा सकते हैं ....लेकिन अगर वर्तमान वार्तावरण को देखा जाये तो इस उत्तर मिल पाना संभव नहीं है ....आपकी सोच को सलाम .....!

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  3. जब धरा एक
    प्राण एक
    एक है परमात्मा
    फिर जात-पात
    धर्म संप्रदाय
    अलग क्यों हैं...?
    बेकसूरों के खून से लिखे
    लाल रंग के इतिहास में
    खोज अपना धर्म
    बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
    क्यों है लाल...?

    उत्तर देकर भी लोग होंगे बेखबर

    जवाब देंहटाएं
  4. एक है परमात्मा
    फिर जात-पात
    धर्म संप्रदाय
    अलग क्यों हैं...?
    बेकसूरों के खून से लिखे
    लाल रंग के इतिहास में
    खोज अपना धर्म
    बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
    क्यों है लाल...?
    एक प्रश्न है तुझसे
    चिताबद्ध होने से पहले.....

    सही प्रश्‍न .. सुंदर अभिव्‍यक्ति !!

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  5. शुद्ध रूप लिख लें कविता में :आविष्कार ,अच्छी विचार कविता .

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  6. सभी धर्मों के रक्त का रंगक्यों है लाल,
    एक प्रश्न है....
    सुन्दर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,संध्या जी,....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
    RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...सुन्दर रचना,बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,.....

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  7. बहुत अच्छा प्रश्न किया है आपने।

    सादर

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  8. जब तक आदमी स्वयं इंसानियत को नहीं पहचानेगा, कोई भी धर्म इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पायेगा...बहुत सुन्दर

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  9. इसका जवाब इनके पास नहीं ...सियासतदारों के पास है ...उनका अपना रंग सफ़ेद है .....और धर्म संप्रदाय उन्होंने अपने निजी स्वार्थ के लिए बनाये हैं .....इसी लिए उनमें भेद रखे हैं....ताकि वह जब चाहे अपना स्वार्थ सिद्ध कर सके ...बहुत सशक्त अभिव्यक्ति संध्याजी...!!!!

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  10. बहुत भाव पूर्ण रचना एक अनुत्तरित प्रश्न के साथ |
    आशा

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  11. एक प्रश्न है तुझसेचिताबद्ध होने से पहले.....

    ...अच्छा प्रश्न किया है आपने अत्यंत गहन भाव संध्या जी !

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  12. स्वार्थ के कीचड़ में एक अलग इतिहास की चाह में इस अनुत्तरित प्रश्न को और सुलगाया ही जाता है ..सशक्त रचना..

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  13. चिन्ता जा़यज है.मानव अपनी मानवता जब तक भूलता रहेगा..तब तक उत्तर मिलना कठिन है....संध्या जी बहुत सार्थक और सुन्दर पोस्ट...

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  14. बहुत ही सुन्दर है पोस्ट.....विचारणीय प्रश्न छोड़ती हुई ।

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  15. काश हम सब समझ लें ....
    शुभकामनायें आपको !

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  16. बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
    क्यों है लाल...?
    एक प्रश्न है तुझसे ..

    इस प्रश्न का उत्तर तो सभी जानते हैं पर मानते नहीं ... सार्थक रचना है ...

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  17. यह एक यक्ष प्रश्न है,जिसका जवाब सदियों से कोई नहीं दे पया। देखने पर तो पाँचों अंगुलियाँ अलग दिखाई देती हैं। पर खाने के समय सभी बराबर हो जाती है। वैसे ही सभी धर्मों के नेता भी है, जब बड़ा मतलब होता है तो एक हो जाते हैं और मतलब नहीं निकलता दिखा तो रायता फ़ैला देते हैं हल्ला मचाते हुए।

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  18. बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
    क्यों है लाल...?
    एक प्रश्न है तुझसे
    चिताबद्ध होने से पहले.....

    Gahra Swal Hai ham sabke liye..... Ati Sunder

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  19. बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
    क्यों है लाल...?
    एक प्रश्न है तुझसे
    चिताबद्ध होने से पहले.....

    bilkul sahi prashan kiya hai Sandhya ji apne .....lajabab rachana ke liye hardik badhai

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  20. सुन्दर भाव से भरी खूबसूरत रचना |
    हर बात पर उठता एक सवाल जिसका ज्काब देना इतना सरल भी नहीं सुन्दर रचना |

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  21. बेकसूरों के खून से लिखे
    लाल रंग के इतिहास में
    खोज अपना धर्म
    बता सभी धर्मों के रक्त का रंग
    क्यों है लाल...?

    शाश्वत प्रश्न पूछती अच्छी रचना।

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  22. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  23. सार्थक प्रश्न करती सुंदर रचना ...

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