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शनिवार, 3 सितंबर 2011

वक़्त... संध्या शर्मा





वक़्त के साथ
सब कुछ बदल जाता है
दुनिया, अपने, भावनाएं
और रिश्ते

वक़्त के साथ
बदल जाता है
वर्तमान भविष्य में
और भविष्य बन जाता है भूत

वक़्त के साथ
गुम हो जाते हैं
दुनिया में अपने
अपनों में भावनाएं
और बदल जाते है रिश्ते...

17 टिप्‍पणियां:

  1. वक़्त हममें बदलाव तो करता ही है, पर बदलाव किस दिशा में हो
    यह हमारी चाहत और उस ओर किये गए प्रयत्न पर भी निर्भर करता है.
    वक़्त का अहसास कराती आपकी प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी.
    आभार.

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  2. बेशक अच्छी एवँ भावपूर्ण कविता !!!

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  3. सबसे बडा वक्‍त ही होता है.....
    बेहतरीन और भावयुक्‍त रचना।

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  4. हूँ...तभी कहते हैं की वक्त बड़ा बलवान..... सुंदर पंक्तियाँ

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  5. वक्त ही रिश्तों की सही पहचान करा देता है ...
    सत्य वचन!

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  6. इसी को कहते हैं-वक़्त वक़्त की बात

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  7. parivartan hi prakiti ka niyam hai...yahi shaswat hai...main aapke blog se jud raha hoon aaur mujhe bhi aas hai aapke apne blog se judne ki...hardik badhayee

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  8. सघन चिंतन....
    सार्थक अभिव्यक्ति...
    सादर...

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  9. सटीक चिंतन ..वक्त के साथ सब कुछ बदलता रहता है ..

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  10. वास्तव में वक्त के साथ बहुत कुछ बदल जाता है।
    अच्छी रचना।

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  11. आपकी कविताओं में गहरी अभिव्‍यक्ति है संध्‍या जी, धन्‍यवाद.

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  12. तभी तो कहा है वक्त बड़ा बलवान ... उसके आए कोई नहीं होता ..

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  13. वक़्त के साथ
    सब कुछ बदल जाता है
    दुनिया, अपने, भावनाएं
    और रिश्ते
    ......वक्त के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। वक्त ही सबको सही पहचान करा देता है

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  14. सुंदर और सटीक पंक्तियाँ....शानदार रचना.....संध्‍या जी

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